तरुवर फल नहिं खात है सरवर पियत न पान कहि रहीम पर काज हित संपति sechhi सुजान
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यहां पर कविवर रहीम कहते हैं कि जिसत तर पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीते उसी तरह सज्जनलोग दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते हैं।
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