तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान।
कहि रहीम परकाज हित, संपति-सचहिं सुजान।।3।।
mukeshverma084:
hahaha
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पेड़ अपने फल स्वयं नहीं खाते हैं और तालाब अपना जल स्वयं नहीं पीते है रहीम दास जी कहते हैं कि उच्च कुल के लोग अपना धन संचय स्वयं के लिए नहीं बल्कि परोपकार के लिए करते हैं
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