Hindi, asked by jh3877772, 4 months ago

तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान कहि रहीम परकाज हित ,संपति सचहि सूजन इस दोहे में किस भावना को दर्शाया गया है​

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Answered by bhatiamona
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रुवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान कहि रहीम परकाज हित ,संपति सचहि सूजन

इस दोहे में रहीम जी ने परोपकार की भावना को दर्शाया है | मनुष्य को परोपकारी बनना चाहिए |

भावार्थ : रहीम दास कहते हैं कि पेड़ स्वयं अपने फल कभी नहीं खाता। तालाब कभी अपना पानी नहीं पीता है अर्थात उनका फल और पानी दूसरों के लिए होता है। उसी तरह सज्जन लोग भी जो कार्य करते हैं, वो स्वयं के लिए नहीं करते बल्कि दूसरों की भलाई के लिए करते हैं। सज्जन लोग दूसरों के हित के लिए ही संपत्ति का संग्रह करते हैं ताकि उससे परोपकार का कार्य कर सकें। सज्जनों का गुण पेड़ और तालाब के समान होता है जो सदैव दूसरों के लिए जीते हैं।

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