Hindi, asked by RAGEFANTOM, 1 day ago

तरूवर फल नहिं खात है, सरवर पियत न पान कहि रहीम परकाज हित, संपत्ति सचहिं सुजान।। इस दोहे में किस भावना को बताया गया है?​

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Answered by s1050bargav21779
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Answer:

तरुवर फल नहिं खात हैं, सरवर पियहिं न पान। कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥ रहीम कहते हैं कि परोपकारी लोग परहित के लिए ही संपत्ति को संचित करते हैं। जैसे वृक्ष फलों का भक्षण नहीं करते हैं और ना ही सरोवर जल पीते हैं बल्कि इनकी सृजित संपत्ति दूसरों के काम ही आती है।

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