तरुवर जड़ सो काटिया, जबै सम्हरो जहाज़।
तारै पर बोरे नहीं, बाँह गहे की लाज।।2।। सरलाथ कीजिए
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संत कबीरदास जी कहते हैं कि लोग वृक्ष को जड़ से काट देते हैं परंतु उस वृक्ष की लकड़ी का जब जहाज बन जाता है तो वह समुद्र के पार लगाता है शत्रु मानकर दोबारा नहीं है सच है बड़े लोग हाथ पकड़ने में लज्जा करते हैं
Explanation:
संत कबीर दास जी वृक्ष से बड़प्पन का गुण लेने की सलाह देते हैं ।
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