तरह-तरह की
आरामदायक बसें आज के
शहरी जीवन का ऐसा
हिस्सा हैं जिनके बिना
जीवन की कल्पना मी
नहीं की जा राकती है।
पता करिए कि यें बरों
हगारी जिन्दगी का हिस्सा
कब और कैसे बनीं और
अपने आरंभिक रूप से
आज तक इनमें क्या क्या
बदलाव आए।
Answers
Explanation:
आजादी के कई दशक बाद भी भारत इतनी असमानताओं से भरा पड़ा है कि अक्सर यह कहा जाता है कि यहां दो देश हैं - एक भारत एवं एक इंडिया। यह देश के ग्रामीण एवं शहरी इलाकों की दो अलग-अलग वास्तविकताओं को दर्शाता है। लेकिन यह आवश्यक है कि ग्रामीण एवं शहरी दोनों ही क्षेत्रों के निवासी एक दूसरे के साथ सद्भाव पूर्वक रहें। राष्ट्रीय सर्वेक्षण संगठन के अनुसार वर्ष 2009-10 में देश के ग्रामीण इलाकों में औसत प्रति व्यक्ति मासिक खर्च 1054 रुपए था, जबकि शहरी क्षेत्रों में यह में 1984 रूपए था, जिसका मतलब है कि शहरी निवासियों का प्रति व्यक्ति खर्च गांवों में रहने वाले लोगों की तुलना में 88% प्रतिशत अधिक था।
शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन पर छोटे तथा बड़े निबंध (Long and Short Essay on Urban Life vs Rural Life in Hindi)
निबंध 1 (300 शब्द)
प्रस्तावनाभारत मुख्य रुप से एक कृषि आधारित देश है। किसान ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। वे अपने खेतों में अनाज और सब्जियां उगाने के लिए कड़ा परिश्रम करते हैं। वे फसलों की सिंचाई के लिए तालाबों और नहरों में पानी के संरक्षण करते हैं। किसानों का शहरों की भागदौड़ एवं हलचलों से दूर एवं प्रकृति के करीब होता है। वहां यदि भूमि और जाति के पूर्वाग्रहों एवं प्रचलित अंधविश्वासों पर होने वाले संघर्षों को अगर छोड़ दे तो हर जगह शांति और सौहार्द का माहौल होता है।
शहरी जीवन में व्यस्तता
दूसरी ओर, शहरों में लोग हमेशा वक्त की कमी से जूझते है, यहां हर कार्य काफी तेजी के साथ करना होता है जीवन में को उत्साह नही होता है। वहाँ हमेशा अच्छा प्रदर्शन करने का जबरदस्त तनाव बना रहता है और व्यस्त शहरी जीवन की वजह से स्वास्थ्य संबंधी अन्य परेशानियां भी हो जाती हैं। शहरी निवासियों को अपने मित्रों, पड़ोसियों, रिश्तेदारों, या यहां तक कि अपने परिवार के सदस्यों से मिलने के लिए भी काफी कम समय होता है।
शहरी जीवन बनाम ग्रामीण जीवन
जैसे-जैसे शहरों में रहने वाले लोगों की आवश्यकताएं एवं उनकी लागत बढ़ती जा रही हैं पैसे के पीछे भागने की प्रवृत्ति भी शहरों में लगातार बढ़ती जा रही है और यह उनके जीवन का एक अनिवार्य हिस्सा बन चुका है। धन जमा कर लेने के बावजूद शांति अभी भी शहरी निवासियों से कोसों दूर है।
गांवों में एवं शहर में रहने वाले लोगों के जीवन में सिर्फ इतना ही फर्क नहीं है। शहरी और ग्रामीण जीवन एकदूसरे के बिल्कुल विपरीत है और इन दोनों जीवनों में जमीन आसमान का फर्क है। एक तरफ जहां ग्रामीण जीवन में संयुक्त परिवार, मित्रो, रिश्तेदारों और साधरण जीवन को महत्व दिया जाता है। वही शहरी जीवन में लोग एकाकी तथा चकाचौंध भरा जीवन जीते है।
निष्कर्ष
Answer:
bhot badlaw aaye...
Explanation:
these things started from 2010 onwards. The indian buses were not like this. The outsider country buses were the basis of change in Indian buses.