Tare aakash nadi parvat prithvi in sab ka use karke poem banakar de
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इतनी सुंदर इतनी प्यारी, इतनी न्यारी ये पृथ्वी हमारी,
यहाँ खड़े हैं विशाल गिरि,
जिन पर चमकती हुई नदियाँ उछल कूद हैं करती,
आकाश में तारे हैं जगमगाते,
और सबके मन को हैं लुभाते,
इतनी सुंदर इतनी प्यारी है ये धरा हमारी,
नभ में तारे तल पर पर्वत और हैं नदियाँ न्यारी,
इतनी सुंदर इतनी प्यारी है ये पृथ्वी हमारी।
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