taruvar phal nahi khaat hai sarvar piyahi na paan kahi rahim par kaaj hiit sampatti sanchi sujan (give me prasang of this Doha)
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तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहि न पान।
कहि रहीम पर काज हित, संपति सँचहि सुजान॥
प्रसंग : यह दोहा रहीम जी द्वारा लिखा गया है |
अर्थ : दोहे में रहीम कहते हैंसमझाना चाहते है कि जिस तरह पेड़ कभी स्वयं अपने फल नहीं खाते और तालाब कभी अपना पानी नहीं पीता | उसी प्रकार सज्जन लोग हमेशा दूसरे के हित के लिये संपत्ति का संचय करते है| यह दूसरों के लिए हमेशा मदद करते है| समझदार और सज्जन लोग दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते है|
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यो रहीम सुख होत है, बढ़त देख निज गोत।
ज्यों बड़री अँखियाँ निरखि, आँखिन को सुख होत ॥ 13
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Explanation:
galat h Kutte Pgl mental health issues
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