India Languages, asked by kiruthigaa9621, 14 days ago

तस्मात् के जिघ्रन्ति?

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Answered by NARESH1414
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Sorry i didnot understand your language

Answered by DARKIMPERIAL
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तस्मात् पादपाः जिघ्रन्ति (इति सिध्यति)। व्याख्या महर्षि भृगु कहते हैं कि वृक्ष पुण्यों और अपुण्यों से तथा अनेक प्रकार की गन्धों और धूपों से रोगमुक्त और पुष्पित होते हैं। इस कारण वृक्ष सँघते हैं, यह सिद्ध होता है।

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