History, asked by joshiruchi045, 4 months ago

तस्थ ग्रन्थागर अपि मया प्राप्त ​

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Answered by aanyagupta20110006
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can you please elaborate your question?

Answered by negiabhishek236
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प्रयाग प्रशस्ति गुप्त राजवंश के सम्राट समुद्रगुप्त के दरबारी कवि हरिसेन द्वारा रचित लेख था। इस लेख को समुद्रगुप्त द्वारा २०० ई में कौशाम्बी से लाये गए अशोक स्तंभ पर खुदवाया गया था। इसमें उन राज्यों का वर्णन है जिन्होंने समुद्रगुप्त से युद्ध किया और हार गये तथा उसके अधीन हो गये।[1] इसके अलावा समुद्रगुप्त ने अलग अलग स्थानों पर एरण प्रशस्ति, गया ताम्र शासन लेख, आदि भी खुदवाये थे।[2] इस प्रशस्ति के अनुसार समुद्रगुप्त ने अपने साम्राज्य का अच्छा विस्तार किया था। उसको क्रान्ति एवं विजय में आनन्द मिलता था। प्रयागराज के अभिलेखों से पता चलता है कि समुद्रगुप्त ने अपनी विजय यात्रा का प्रारम्भ उत्तर भारत के आर्यावर्त के 9 शासकों को परास्त करने के साथ किया जिसमें नागसेन, अच्युत, गणपति आदि थे। इन विजयों के द्वारा समुद्र गुप्त ने मध्य प्रदेश या गंगा यमुना दोआब पर अपनी सत्ता स्थापित की। उसने इन 9 शासकों का पूर्ण उन्मूलन किया क्योंकि केंद्रीय प्रदेश के स्पर्धी राज्यों को बिना पूर्णतः परास्त और उन्मूलन किया उसके लिए आगे बढ़ना संभव नहीं था।।[3]

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