Hindi, asked by aayaandua, 7 months ago

तत्कालीन समाज में व्याप्त छुआछूत (अस्पृश्यता) की भावना में क्या अंतर आया है? इस पर अपने विचार लिखिए।

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Answered by anukoolsingh
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Answer:

अस्पृश्यता का शाब्दिक अर्थ है - न छूना। इसे सामान्य भाषा में 'छूआ-छूत' की समस्या भी कहते हैं। अस्पृश्यता का अर्थ है किसी वय्क्ति या समूह के सभी लोगों के शरीर को सीधे छूने से बचना या रोकना। ये मान्यता है कि अस्पृश्य या अछूत लोगों से छूने, यहाँ तक कि उनकी परछाई भी पड़ने से उच्च जाति के लोग 'अशुद्ध' हो जाते है और अपनी शुद्धता वापस पाने के लिये उन्हें पवित्र गंगा-जल में स्नान करना पड़ता है। भारत में अस्पृश्यता की प्रथा को अनुच्छेद १७ के अंतर्गत एक दंडनीय अपराध घोषित कर दिया गया है। अनुच्छेद १७ निम्नलिखित है-

'अस्पृश्यता' का अन्त किया जाता है और उसका किसी भी रूप में आचरण निषिद्ध किया जाता है। 'अस्पृश्यता' से उपजी किसी निर्योग्यता को लागू करना अपराध होगा जो विधि के अनुसार दण्डनीय होगा।

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