तत्पुरुष or कमधारय samas me kya difference h?
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तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।वह समास जिसका पहला पद विशेषण एवं दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद एवं उत्तरपद में उपमान – उपमेय का सम्बन्ध माना जाता है कर्मधारय समास कहलाता है।
समास की परिभाषा :-
इसका शाब्दिक अर्थ होता है छोटा रूप। अथार्त जब दो या दो से अधिक शब्दों से मिलकर जो नया और छोटा शब्द बनता है उस शब्द को समास कहते हैं। समास के नियमों से निर्मित शब्द सामासिक शब्द कहलाता है। इसे समस्तपद भी कहते हैं। समास होने के बाद विभक्तियों के चिह्न (परसर्ग) लुप्त हो जाते हैं। जैसे-राजपुत्र।
समास-विग्रह :-
सामासिक शब्दों के बीच के संबंधों को स्पष्ट करना समास-विग्रह कहलाता है।विग्रह के पश्चात सामासिक शब्दों का लोप हो जाताहै जैसे-राज+पुत्र-राजा का पुत्र | समास में दो पद (शब्द) होते हैं। पहले पद को पूर्वपद और दूसरे पद को उत्तरपद कहते हैं । जैसे-गंगाजल।गंगा+जल, जिसमें गंगा पूर्व पद है,और जल उत्तर पद।
समास के छः भेद हैं :-
1.अव्ययीभाव
2.तत्पुरुष
3.द्विगु
4.द्वन्द्व
5.बहुव्रीहि
6.कर्मधारय
कर्मधारय समास की परिभाषा :-
वह समास जिसका पहला पद विशेषण एवं दूसरा पद विशेष्य होता है अथवा पूर्वपद एवं उत्तरपद में उपमान – उपमेय का सम्बन्ध माना जाता है कर्मधारय समास कहलाता है । इस समास का उत्तरपद प्रधान होता है |
कर्मधारय समास के उदाहरण :-
नीलगगन - नीला है जो गगन
चरणकमल - कमल के समान चरण