तत्पुरुष समास : परिभाषा, भेद एवं उदाहरण
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तत्पुरुष समास के प्रकार :
तत्पुरुष समास के प्रकार :करण तत्पुरुष : 'से' और 'के द्वारा' के लोप से यह समास बनता है। ... अपादान तत्पुरुष : 'से' का लोप होने से यह समास बनता है। जैसे: पथभ्रष्ट: पथ से भ्रष्ट सम्बन्ध तत्पुरुष : 'का', 'के', 'की' आदि का लोप होने से यह समास बनता है।
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तत्पुरुष समास की परिभाषा
तत्पुरुष समास वह होता है, जिसमें उत्तरपद प्रधान होता है, अर्थात प्रथम पद गौण होता है एवं उत्तर पद की प्रधानता होती है व समास करते वक़्त बीच की विभक्ति का लोप हो जाता है।
इस समास में आने वाले कारक चिन्हों को, से, के लिए, से, का/के/की, में, पर आदि का लोप होता है।
तत्पुरुष समास के उदाहरण :
- मूर्ति को बनाने वाला — मूर्तिकार
- काल को जीतने वाला — कालजयी
- राजा को धोखा देने वाला — राजद्रोही
- खुद को मारने वाला — आत्मघाती
- मांस को खाने वाला — मांसाहारी
- शाक को खाने वाला — शाकाहारी
तत्पुरुष समास के भेद:-
कारक चिन्हों के अनुसार इस समास के छः भेद हो जाते है।
- कर्म तत्पुरुष समास
- करण तत्पुरुष समास
कर्म तत्पुरुष समास :
यह समास ‘को’ चिन्ह के लोप से बनता है। जैसे :
- ग्रामगत : ग्राम को गया हुआ।
- यशप्राप्त : यश को प्राप्त।
- स्वर्गगत : स्वर्ग को गया हुआ।
- ग्रंथकार : ग्रन्थ को लिखने वाला।
- माखनचोर : माखन को चुराने वाला।
- सम्मानप्राप्त : सम्मान को प्राप्त
ऊपर दिए गए उदाहरणों में जैसा की आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में को योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण कर्म तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
करण तत्पुरुष समास :
यह समास दो कारक चिन्हों ‘से’ और ‘के द्वारा’ के लोप से बनता है। जैसे:
- करुणापूर्ण : करुणा से पूर्ण
- शोकाकुल : शौक से आकुल
- वाल्मीकिरचित : वाल्मीकि द्वारा रचित
- शोकातुर : शोक से आतुर
- कष्टसाध्य : कष्ट से साध्य
- मनमाना : मन से माना हुआ
- शराहत : शर से आहत
ऊपर दिए गए उदाहरण में जैसा की आप देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में से योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।
अतः ये उदाहरण करण तत्पुरुष समास के अंतर्गत आएंगे।
- अकालपीड़ित : अकाल से पीड़ित
- भुखमरा : भूख से मरा
- सूररचित : सूर द्वारा रचित
- आचार्कुशल : आचार से कुशल
- रसभरा : रस से भरा
- मनचाहा : मन से चाहा
जैसा की आप ऊपर दिए गए उदाहरणों में देख सकते हैं यहां सभी शब्दों में उत्तरपद प्रधान है एवम पूर्वपद गौण है। जब इनका समास किया जाता है तब इनके बीच में से योजक चिन्ह का लोप हो जाता है।