तटीय पदेषी ने कौन से वन ज्वार से प्रभावित होते
है।
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समुद्री तट (1)
यहाँ सागर और ज़मीन मिलते हैं। एक तरफ रेत का मैदान - दूसरी तरफ अनन्त सागर। इस जगह साल भर, दिन भर लहरें चलती रहती हैं, कभी ऊँची-ऊँची, कभी छोटी-छोटी लहरें। लहरें तट पर टकराती रहती हैं।
समुद्री तट
समुद्री तट (2)
यह भी समुद्र तट है : मगर इस तरफ रेत नहीं बल्कि पहाड़ और चट्टानें हैं। सागर की लहरें यहाँ भी दिन भर चलती हैं - लेकिन इन चट्टानों से टकरा कर लौट जाती हैं। दिन भर धड़ाम-धड़ाम, लहरों के टकराने की आवाज़ गूँजती रहती है।
समुद्री तट
नदी का मुहाना (1)
यह सागर और नदी का संगम है। नदी का पाट आस-पास की ज़मीन से नीचे है। जब भी समुद्र में ज्वार आता है और समुद्र का स्तर ऊँचा हो जाता है, तब समुद्र का पानी नदी में घुस जाता है। जब भाटा आता है, तब समुद्र का स्तर गिरता है और नदी का पानी फिर से समुद्र में जाने लगता है।
समुद्री तट
नदी का मुहाना (2) (डेल्टा)
यह भी एक तरह का नदी का संगम है। मगर यहाँ पर नदी अनेक शाखाओं में बंटकर समुद्र में गिरती है। नदी की सतह आस-पास की ज़मीन के बराबर है। इस कारण नदी में पानी बढ़ने पर बाढ़ का पानी चारों ओर फैल जाता है।
समुद्री तट
समुद्र से जुड़े लोग
मछुआरों का गाँव
समुद्र के किनारे हज़ारों वर्षों से मछुआरों के गाँव बसे हैं। ये लोग समुद्र से मछली पकड़ने का धंधा करते हैं। मछली को शहरों और खेती करने वालों के गाँव में बेचते हैं और अपनी दूसरी जरूरत की चीज़े खरीदते हैं।
समुद्री तट
खेती करने वालों के गाँव
समुद्र तट से थोड़े अन्दर ये गाँव बसे हैं। इनको खेती के लिये पानी नदियों से मिलता है, जो खेतों तक नहरों से पहुँचाया जाता है। जहाँ नदियाँ न हो, वहाँ पानी कम रहता है और लोग तालाब व कुओं से सिंचाई करते हैं।
समुद्री तट
बंदरगाह
यहाँ पर देश-विदेश के जहाज आकर रूकते हैं। इनमें माल चढ़ाया जाता है। बन्दरगाह तक माल लाने ले जाने के लिये रेल लाइनें बिछी हैं और रेल गाड़ियाँ चलती हैं। यहाँ पर हज़ारों मज़दूर मज़दूरी करते हैं।
नदियों में बाढ़ और खेत
भारत के पश्चिमी तट पर बरसात के महीनों में खूब वर्षा होती है। वहाँ वर्षा मई और जून में प्रारंभ हो जाती है। पूर्वी तट में इतनी वर्षा तो नहीं होती है मगर पूर्वी तट के लोग वहाँ बहने वाली नदियों का फायदा उठाते हैं। ये नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलती हैं, जहाँ मई, जून, जुलाई, अगस्त के महीनों में खूब वर्षा होती है। यह पानी इन नदियों में बहकर पूर्वी मैदान में आ पहुँचता है।