Hindi, asked by swarnad088, 2 months ago

तदा स बाल: 'कृतमनेन मिथ्यागर्वितेन कीटेन' इत्यन्यतो दत्तदृष्टिश्चटकमेकं चञ्च्वा
तृणशलाकादिकमाददानमपश्यत्। उवाच च-“अयि चटकपोत! मानुषस्य मम मित्रं भविष्यसि
एहि क्रीडावः। त्यज शुष्कमेतत् तृणं स्वादूनि भक्ष्यकवलानि ते दास्यामि" इति। स तु 'नीडः
कार्यो बटद्रुशाखायां तद्यामि कार्येण' इत्युक्त्वा स्वकर्मव्यग्रो बभूव।) write in hindi​

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Answered by Anonymous
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Answer:

1917 की रूसी क्रांति बीसवीं सदी के विश्व इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना रही। 1789 ई. में फ्रांस की राज्यक्रांति ने स्वतंत्रता, समानता और भ्रातृत्व की भावना का प्रचार कर यूरोप के जनजीवन को गहरे स्तर पर प्रभावित किया। रूसी क्रांति की व्यापकता अब तक की सभी राजनीतिक घटनाओं की तुलना में बहुत विस्तृत थी। इसने केवल निरंकुश, एकतंत्री, स्वेच्छाचारी, ज़ारशाही शासन का ही अंत नहीं किया बल्कि कुलीन जमींदारों, सामंतों, पूंजीपतियों आदि की आर्थिक और सामाजिक सत्ता को समाप्त करते हुए विश्व में मजदूर और किसानों की प्रथम सत्ता स्थापित की। मार्क्स द्वारा प्रतिपादित वैज्ञानिक समाजवाद की विचारधारा को मूर्त रूप पहली बार रूसी क्रांति ने प्रदान किया। इस क्रांति ने समाजवादी व्यवस्था को स्थापित कर स्वयं को इस व्यवस्था के जनक के रूप में स्थापित किया। यह विचारधारा 1917 के पश्चात इतनी शक्तिशाली हो गई कि 1950 तक लगभग आधा विश्व इसके अंतर्गत आ चुका था।

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