Hindi, asked by srivastavaanish62, 1 month ago

तद्दोषों शब्दार्थों सगुणावनलंकृति पुनरू क्वापिए परिभाषा है​

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Answered by AbhilabhChinchane
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Answer:

तद्दोषौ शब्दार्थौ सगुणावनलंकृति पुनः क्वापि

अर्थात दोष रहित, गुणसहित और कभी-कभार अनलंकृत शब्द और अर्थमयी रचना काव्य है। इस परिभाषा में हम पाते हैं कि इसमें दोषों के अभाव और गुणों के भाव को प्रधानता दी गई है। इसमें अलंकारों को बहुत आवश्यक नहीं माना गया है।

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