तद्धित प्रत्यय से आप क्या समझते है ?उदहारण सहित ।
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तद्धित प्रत्यय:
वे प्रत्यय जो क्रिया पदों के अतिरिक्त संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण आदि शब्दों के साथ
लगकर
नये शब्द का निर्माण करते हैं उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते हैं। जैसे
छात्र + आ = छात्रा
देव + ई = देवी
मीठा+आस = मिठास
अपना+पन = अपनापन
तद्धित प्रत्यय 6 प्रकार के होते हैं।
(i)कर्त्तुवाचक तद्धित प्रत्यय
– वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द
के साथ जुड़कर कर्त्तुवाचक शब्द का निर्माण करते हैं।-
आर = लुहार, सुनार
इया = रसिया
ई = तेली
एरा = घसेरा
(ii)भाववाचक तद्धित प्रत्यय –
वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ
जुड़कर
भाववाचक संज्ञा बनाते हैं।
आई = बुराई
आपा = बुढ़ापा
आस = खटास, मिठास
आहट = कड़वाहट
इमा = लालिमा
ई = गर्मी
ता = सुन्दरता, मूर्खता, मनुष्यता,
त्व = मनुष्यत्व, पशुत्व
पन = बचपन, लड़कपन, छुटपन
(iii)सम्बन्धवाचक तद्धित प्रत्यय
– इन प्रत्ययों के लगने से सम्बन्ध वाचक शब्दों की
रचना होती है।
एरा = चचेरा, ममेरा
इक = शारीरिक
आलु = दयालु, श्रद्धालु
इत = फलित
ईला = रसीला, रंगीला
ईय = भारतीय
ऐला = विषैला
तर = कठिनतर
मान = बुद्धिमान
वत् = पुत्रवत, मातृवत्
हरा = इकहरा
जा = भतीजा, भानजा
ओई = ननदोई
(iii)अप्रत्यवाचक तद्धित प्रत्यय
– संस्कृत के प्रभाव के कारण संज्ञा के साथ अप्रत्यवाचक
प्रत्यय लगाने से सन्तान का बोध होता है।
अ = वासुदेव, राघव, मानव
ई = दाशरथि, वाल्मीकि, सौमित्रि
एय = कौन्तेय, गांगेय, भागिनेय
य = दैत्य, आदित्य
ई = जानकी, मैथिली, द्रोपदी, गांधारी
(v) ऊनतावाचक तद्धित प्रत्यय
– संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ
प्रयुक्त होकर
ये उनके लघुता सूचक शब्दों का निर्माण करते हैं।
इया = खटिया, लुटिया, डिबिया
ई = मण्डली, टोकरी, पहाड़ी, घण्टी
ओला = खटोला, संपोला
(अप) स्त्रीबोधक तद्धित प्रत्यय:
वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ
लगकर
उनके स्त्रीलिंग का बोध कराते है।
आ = सुता, छात्रा, अनुजा
आइन = ठकुराइन, मुंशियाइन
आनी = देवरानी, सेठानी, नौकरानी
इन = बाघिन, मालिन
नी = शेरनी, मोरनी
उर्दू के प्रत्यय
हिन्दी की उदारता के कारण उर्दू के कतिपय प्रत्यय हिन्दी में भी प्रयुक्त होने
लगे हैं। जैसे
गर = जादूगर, बाजीगर, कारीगर, सौदागर
ची = अफीमची, तबलची, बाबरची, तोपची
नाक = शर्मनाक, दर्दनाक
दार = दुकानदार, मालदार, हिस्सेदार, थानेदार
आबाद = अहमदाबाद, इलाहाबाद, हैदराबाद
इन्दा = परिन्दा, बाशिन्दा, शर्मिन्दा, चुनिन्दा
इश = फरमाइश, पैदाइश, रंजिश
इस्तान = कब्रिस्तान, तुर्किस्तान, अफगानिस्तान
खोर = हरामखोर, घूसखोर, जमाखोर, रिश्वतखोर
गाह = ईदगाह, बंदरगाह, दरगाह, आरामगाह
गार = मददगार, यादगार, रोजगार, गुनाहगार
गीर = राहगीर, जहाँगीर
गी = दीवानगी, ताजगी, सादगी
गीरी = कुलीगीरी, मुंशीगीरी
नवीस = नक्शानवीस, अर्जीनवीस
नामा = अकबरनामा, सुलहनामा, इकरारनामा
बन्द = हथियारबन्द, नजरबन्द, मोहरबन्द
बाज = नशेबाज, चालबाज, दगाबाज
मन्द = अकलमन्द, जरूरतमंद, ऐहसानमंद
साज = जिल्दसाज, घड़ीसाज, जालसाज
विशेष: कई बार प्रत्यय लगने पर मूलशब्द के आदि मध्य या अन्त में प्रयुक्त स्वरों
में
परिवर्तन हो जाता है। जैसे
इक = समाज-सामाजिक, इतिहास-ऐतिहासिक,
नीति-नैतिक, पुराण-पौराणिक, भूगोल-
भौगोलिक, लोक-लौकिक
य = मधुर-माधुर्य, दिति-दैत्य, सुन्दर-सौन्दर्य,
शूर-शौर्य
इ = दशरथ-दाशरथि, सुमित्रा-सौमित्रि
एय = गंगा-गांगेय, कुन्ती-कौन्तेय
आइन = ठाकुर,-ठकुराइन, मुंशी-मुंशियाइन
इनी = हाथी-हथिनी
एरा = चाचा-चचेरा, लूटना-लुटेरा
आई = साफ-सफाई, मीठा-मिठाई, बोना-बुवाई
अक्कड़ = भूलना-भुलक्कड़, पीना-पियक्कड़
आरी = पूजना-पुजारी, भीख-भिखारी
ऊटा = काला-कलूटा
आव = खींचना-खिंचाव, घूमना-घुमाव
आस = मीठा-मिठास
आपा = बूढ़ा-बुढ़ापा
आर = लोहा-लुहार, सोना-सुनार
इया = चूहा-चुहिया, लोटा-लुटिया
वाड़ी = फूल-फुलवाड़ी
वास = रानी-रनिवास
पन = छोटा-छुटपन, बच्चा-बचपन,
लड़का-लड़कपन
हारा = मनी-मनिहारा
एल = नाक-नकेल
आवना = लोभ-लुभावना
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जो प्रत्यय क्रिया के धातु रूपों को छोड़कर अन्य शब्दों - जैसे संज्ञा , विशेषण , सर्वनाम आदि के साथ लगकर नए शब्द बनाए , अथार्त् उसके अर्थ में परिवर्तन लाए उन्हें तद्धित प्रत्यय कहते है ।
उदहारण -
भूख + आ = भूखा।
कड़वा + आहट = कड़वाहट ।
लुहार + इन = लुहरिन।
साँप + एरा = सपेरा।
घर + ऐलु = घरेलू ।