India Languages, asked by a071715, 3 months ago

तया' पद मे कोनसी विभकती एव वचन रे ?​

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Answered by stuchitharth4911
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ज्ञानकोश विकिपीडिया से

संस्कृत में व्याकरण की परम्परा बहुत प्राचीन है। संस्कृत भाषा को शुद्ध रूप में जानने के लिए व्याकरण शास्त्र का अध्ययन किया जाता है। अपनी इस विशेषता के कारण ही यह वेद का सर्वप्रमुख अंग माना जाता है ('वेदांग'

यस्य षष्ठी चतुर्थी च विहस्य च विहाय च।

यस्याहं च द्वितीया स्याद् द्वितीया स्यामहं कथम् ॥

- जिसके लिए "विहस्य" छठी विभक्ति का है और "विहाय" चौथी विभक्ति का है ; "अहम् और कथम्"(शब्द) द्वितीया विभक्ति हो सकता है। ऐसे मैं व्यक्ति की पत्नी (द्वितीया) कैसे हो सकती हूँ?

(ध्यान दें कि किसी पद के अन्त में 'स्य' लगने मात्र से वह षष्टी विभक्ति का नहीं हो जाता, और न ही 'आय' लगने से चतुर्थी विभक्ति का । विहस्य और विहाय ये दोनों अव्यय हैं, इनके रूप नहीं चलते। इसी तरह 'अहम्' और 'कथम्' में अन्त में 'म्' होने से वे द्वितीया विभक्ति के नहीं हो गये। अहम् यद्यपि म्-में अन्त होता है फिर भी वह प्रथमपुरुष-एकवचन का रूप है। इस सामान्य बात को भी जो नहीं समझता है, उसकी पत्नी कैसे बन सकती हूँ? अल्प ज्ञानी लोग ऐसी गलती प्रायः कर देते हैं। यह भी ध्यान दें कि उन दिनों में लडकियां इतनी पढी-लिखी थीं वे मूर्ख से विवाह करना नहीं चाहती थीं और वे अपने विचार रखने के लिए स्वतन्त्र थीं।)

वचन

संस्कृत में तीन वचन होते हैं- एकवचन, द्विवचन तथा बहुवचन।

संख्या में एक होने पर एकवचन का, दो होने पर द्विवचन का तथा दो से अधिक होने पर बहुवचन का प्रयोग किया जाता है।

जैसे- एक वचन -- एकः बालक: क्रीडति।

द्विवचन -- द्वौ बालकौ क्रीडतः।

बहुवचन -- त्रयःबालकाः क्रीडन्ति।

लिंग

पुल्लिंग- जिस शब्द में पुरुष जाति का बोध होता है, उसे पुलिंग कहते हैं।(जैसे रामः, बालकः, सः आदि)

स: बालकः अस्ति।

तौ बालकौ स्तः

ते बालकाः सन्ति।

स्त्रीलिंग- जिस शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है, उसे स्त्रीलिंग कहते हैं। (जैसे रमा, बालिका, सा आदि)

सा बालिका अस्ति।

ते बालिके स्तः।

ताः बालिकाःसन्ति।

नपुंसकलिंग (जैसे: फलम् , गृहम, पुस्तकम , तत् आदि)

तत फलम अस्ति |

ते फले स्त: |

तानि फलानि सन्ति |

संस्कृत के पुरुष

पुरुष एकवचनम् द्विवचनम् बहुवचनम्

उत्तम पुरुष

(First person)

अहम्(मैं) आवाम्(हम दोनों) वयम्(हम सब)

मध्यम पुरुष

(Second person)

त्वम्(तू) युवाम्(तुम दोनों) यूयम्(तुम सब)

प्रथम/अन्य पुरुष

(Third person)

स:/सा/तत् (वह) तौ/ते/ते (वे दोनों) ते/ता:/तानि (वे सब)

अन्य पुरुष एकवचन मे 'स:' पुल्लिङ्ग के लिये , 'सा' स्त्रीलिङ्ग के लिये और 'तत' नपुन्सकलिङ्ग के लिये है |

क्रमश: द्विवचन और बहुवचन के लिए भी यहि रीत है |

उत्तम पुरुष और मध्यम पुरुष मे लिङ के भेद नहि है |

कारक

कारक नाम - वाक्य के अन्दर उपस्थित पहचान-चिह्न

कर्ता - ने (रामः गच्छति।)

कर्म - को (to) (बालकः विद्यालयं गच्छति।)

करण - से (by), द्वारा (सः हस्तेन खादति।)

सम्प्रदान -को , के लिये (for) (निर्धनाय धनं देयं।)

अपादान - से (from) अलगाव (वृक्षात् पत्राणि पतन्ति।)

सम्बन्ध - का, की, के (of) ( रामः दशरथस्य पुत्रः आसीत्। )

अधिकरण - में, पे, पर (in/on) (यस्य गृहे माता नास्ति,)

सम्बोधन - हे!,भो!,अरे!, (हे राजन् ! अहं निर्दोषः।)

वाच्य

संस्कृत में तीन वाच्य होते हैं- कर्तृवाच्य, कर्मवाच्य और भाववाच्य।

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