teacher and studies and paragraph in Hindi
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मानव-समाज में शिक्षा प्रदान करना और शिक्षा ग्रहण करना, दोनों ही महत्त्वपूर्ण कार्य माने जाते रहे हैं । ज्ञान के अभाव में मनुष्य को पशु समान माना जाता है और बिना गुरु के ज्ञान प्राप्त नहीं होता । ज्ञान अथवा शिक्षा प्रदान करने और ग्रहण करने के लिए ही गुरु-शिष्य का सम्बन्ध बना है ।
गुरु-शिष्य अथवा शिक्षक-छात्र का सम्बन्ध इसीलिए अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस सम्बंध के उपरान्त ही पशु समान मनुष्य के ज्ञानी बनने की प्रक्रिया आरम्भ होती है । प्राचीन काल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्र गुरुकुल अथवा आश्रमों में जाया करते थे ।
गुरु-शिष्य अथवा शिक्षक-छात्र का सम्बन्ध इसीलिए अधिक महत्त्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इस सम्बंध के उपरान्त ही पशु समान मनुष्य के ज्ञानी बनने की प्रक्रिया आरम्भ होती है । प्राचीन काल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए छात्र गुरुकुल अथवा आश्रमों में जाया करते थे ।
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