Biology, asked by ravisingh77, 10 months ago

teen chulha or teen lakdi teeno me do do lakadi lagana hai bina cut kiye​

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Answered by aashi1229
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Answer:

Hey mate

Explanation:

what do you mean by this question can u tell us so we can answer that question properly...

i hope you will understand okay mate...

Answered by DreamBoy786
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Answer:

Explanation:

⋙ तूँ

सर्व० [सं० त्वम्] दे० 'तू' ।

⋙ तूँअर पु

संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'तोमर' । उ०—अनँगपाल तूँअर तहाँ दिली बसाई आनि ।—पृ० रा०, १ ।५७० ।

⋙ तूँगा पु

संज्ञा पुं० [सं० तुङ्ग] फौज का समूह । उ०—तूँगा दरवाजा लगे, पूगा पुरा प्रवेस ।—रा० रू०, पृ० २६७ ।

⋙ तूँगी

संज्ञा स्त्री० [देश०] १. पृथ्वी । भूमि । २. नाव । नौंका ।

⋙ तूँब पु

संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'तूँबा' । उ०—जुग तूँबन की बीन परम सोभित मन भाई ।—भारतेंदु ग्रं०, भा० १, पृ० ४१७ ।

⋙ तूँबड़ा

संज्ञा पुं० [हिं०] दे० 'तूँबा' ।

⋙ तूँबना

क्रि० स० [हिं०] दे० 'तूमना' ।

⋙ तूँबा

संज्ञा पुं० [सं० तुम्बक] १. कडुआ गोल कद्दू । कडुआ गोल घीया । तितलौकी । उ०—मन पवन्न दुइ तूँबा करिहौ जुग जुग सारद साजो ।—कबीर ग्रं०, पृ० ३२९ । विशेष—इस कद्दू को खोखला करके कई कामों में लाते हैं; बरतन बनाते हैं; सितार आदि बाजों में ध्वनिकोश बनाने के लिये लगाते हैं आदि । २. कद्दू को खोखला करके बनाया हुआ बरतन जिसे प्रायः साधु अपने साथ रखते हैं । कमंडल ।

⋙ तूँबी

संज्ञा स्त्री० [हिं० तूँबा] १. कडुआ गोल कद्दू । २. कद्दू को खोखला करके बनाया हुआ बरतन । मुहा०—तूँबी लगाना = वात से पीड़ित या सूजे हुए स्थान पर रक्त या वायु को खींचने के लिये तूँबी का व्यवहार करना । विशेष—तूँबी के भीतर एक बत्ती जलाकर रख दी जाती है जिससे भीतर की वायु हलकी पड़ जाती है । फिर जिस अंग पर उसे लगाना होता है, उसपर आटे की एक पतली लोई रख कर उसके ऊपर तूँबी उलटकर रख देते हैं जिससे उस अंग के भीतर की वायु तूँबी में खिंच आदी है । यदि कुछ रक्त भी निकालना होता है, तो उस स्थान को जिसपर तूँबी लगानी होती है, नश्तर से पाछ देते हैं ।

⋙ तू (१)

सर्व० [सं० त्वम्] एक सर्वनाम जो उस पुरुष के लिये आता है जिसे संबोधन करके कुछ कहा जाता है । मध्यमपुरुष एक वचन सर्वनाम । जैसे,—तू यहाँ से चला जा । विशेष—यह शब्द अशिष्ट समझा जाता है, अतः इसका व्यवहार बड़ों और बराबरवालों के लिये नहीं होता, छोटों या नीचों के लिये होता है । परमात्मा के लिये भी 'तू' का प्रयोग होता है । मुहा०—तू तडा़क, तू तुकार, तू तू मैं मैं करना = कहा सुनी करना । अशिष्ट शब्दों में विवाद करना । गाली गलौज करना । कुवाक्य कहना । यौ०—तू तुकरा = अशिष्ट विवाद । कहा सुनी । कुवाक्य । उ०—प्रत्यक्ष धिक्कार और तू तुकार की मूसलाधार वृष्टि होती ।—प्रेमघन०, भा० २, पृ० २९८ ।

⋙ तू (२)

संज्ञा स्त्री० [अनु०] कुत्तों को बुलाने का शब्द । जैसे—'आव तू..तू....' । उ०—दुर दुर करै तौ बाहिरे, तू तू करै तो जाय ।—कबीर सा० सं०, पृ० २१ ।

⋙ तूख

संज्ञा पुं० [सं० तुष = तिनका] का वह टुकडा़ जिसे गोदकर दोना बनाते हैं । सींक । खरका । उ०—छवावति न छाँह, छुए नाहक ही 'नाहीं' कहि, नाइ गल माहँ बाहँ मेलै सुखरूख सी ।... तीखी दीठि तूख सी, पतूख सी, अरुरि अंग, ऊख सी मरूरि मुख लागति महूख सी ।—देव (शब्द०) ।

⋙ तूछा पु

वि० [हिं०] दे० 'तुच्छ' । उ०—वलषी बादसाहाँ सील वाही तेग तूछा ।—शिखर०, पृ० २० ।

⋙ तूझ पु

सर्व० [हिं०] दे० 'तुझ' । उ०—दीनानाथ तूझ बिन दुख री किणनै जाय पुकार कहाँ ।—रघु० रू०, पृ० ९८ ।

⋙ तूटना

क्रि० अ० [सं० त्रुट] 'टूटना' । उ०—तुटैं लूट बाहैं । दतै दंत मौंह ।—पृ० रा०, ७ ।१२० ।

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