teenager par essay in hindi
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पश्चिम में किशोर अवस्था का विशेष अध्ययन कई मनोवैज्ञानिकों ने किया है। किशोर अवस्था काम भावना के विकास की अवस्था है। कामवासना के कारण ही बालक अपने में नवशक्ति का अनुभव करता है। वह सौंदर्य का उपासक तथा महानता का पुजारी बनता है। उसी से उसे बहादुरी के काम करने की प्रेरणा मिलती है।
किशोर अवस्था शारीरिक परिपक्वता की अवस्था है। इस अवस्था में बच्चे की हड्डियों में दृढ़ता आती है; भूख काफी लगती है। कामुकता की अनुभूति बालक को 13 वर्ष से ही होने लगती है। इसका कारण उसके शरीर में स्थित ग्रंथियों का स्राव होता है। अतएव बहुत से किशोर बालक अनेक प्रकार की कामुक क्रियाएँ अनायास ही करने लगते हैं। जब पहले पहल बड़े लोगों को इसकी जानकारी होती है तो वे चौंक से जाते हैं। आधुनिक मनोविश्लेषण विज्ञान ने बालक की किशोर अवस्था की कामचेष्टा को स्वाभाविक बताकर, अभिभावकों के अकारण भय का निराकरण किया है। ये चेष्टाएँ बालक के शारीरिक विकास के सहज परिणाम हैं। किशोरावस्था की स्वार्थपरता कभी कभी प्रौढ़ अवस्था तक बनी रह जाती है।
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टीनएजर को हिंदी में किशोर कहा जाता है I किशोरावस्था एक ऐसी अवस्था है जिसमें बच्चों में अनेकों बदलाव होते हैं I बच्चों का मानसिक शारीरिक, भौतिक व सामाजिक विकास होता है I किशोरावस्था को बसंत काल भी माना जाता है क्योंकि यह 12 से 19 वर्ष के बीच में ही चलता है I किशोरावस्था को योवन अवस्था भी कहते हैं I टीनएज उम्र में आते ही शरीर के यौन अंग बड़े होने लग जाते हार्मोन में बदलाव आने लगते हैं I इस उम्र त्वचा में भी बदलाव आता है I लड़कों की दाढ़ी आ जाती है, आवाज मोटी ओर कर्कश हो जाती है और वह लंबे हो जाते हैं और लड़कियों में मासिक धर्म होने लग जाते हैं और शरीर का आकार बढ़ जाता है कुल्ले बाहर आ जाते हैं चेहरे पर मुंहासे हो जाते है I इस अवस्था में बच्चों की कल्पना का भी विकास होता है बच्चे प्रेम में बड़ी जल्दी पड़ जाते हैं और जल्दी ही एक दूसरे से मोहित हो जाते हैं।