Hindi, asked by synthia31, 7 months ago

tell a hind poem for rain ​

Answers

Answered by advsahid2
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Answer:

Hindi poem on Rain

वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।

उमड़-घुमड़ कर काले बदरा छा रहे है ।।

चपला भी चमक कर रोशनी बिखेर रहे है ।

गुड़-गुड़ कर के बादल भी गरज रहे है ।।

ठंडी-ठंडी हवा चल रही मन को भा रही है ।

बागों में लताओं पर फूल खिल रहे है ।।

मदमस्त मोर पीहू पीहू करके नाच रहा है ।

कोयल भी मस्त राग सुना रही है ।।

मेंढक भी प्यारे संगीत गा रहे है ।

बाज भी बादलों के ऊपर उड़ान भरकर इतरा रहा है ।।

कल कल करती नदियां, इठलाती हुई बह रही है ।

मानो कोई नया संगीत सुना रही है ।।

बागों में फूल खिल रहे, सुगंध मन को भा रही है ।

सावन में झूले पर झूल रही है बिटिया ।।

वर्षा बहार भू पर जीवन की ज्योति जला रही है ।

वर्षा बहार सबके मन को लुभा रही है ।।

hope it helps u..!!

Answered by sushmitha8318
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मुझे  \: भरोसा \:  है  \:  \\ ये \:  काम \:  करेगा

मेघ  \: आये  \: बड़े  \: बन- \: ठन  \: के, \:  सँवर \:  के। \\ </p><p>आगे-आगे  \: नाचती – गाती  \: बयार \:  चली \\ </p><p>दरवाजे- \: खिड़कियाँ  \: खुलने \:  लगी \:  गली-गली \\ </p><p>पाहुन  \: ज्यों  \: आये \:  हों \:  गाँव  \: में \:  शहर \:  के। \\ </p><p>पेड़  \: झुक  \: झाँकने  \: लगे  \: गरदन  \: उचकाये \\ </p><p>आँधी  \: चली,  \: धूल \:  भागी  \: घाघरा  \: उठाये \\ </p><p>बांकीचितवन  \: उठा  \: नदी,  \: ठिठकी, \:  घूँघट  \: सरके। \\ </p><p>बूढ़े़ \:  पीपल \:  ने  \: आगे  \: बढ़  \: कर जुहार \:  की \\ </p><p>‘बरस  \: बाद \:  सुधि  \: लीन्ही’ \\ </p><p>बोली  \: अकुलाई  \: लता  \: ओट  \: हो किवार \:  की \\ </p><p>हरसाया  \: ताल  \: लाया \:  पानी \:  परात  \: भर \:  के। \\ </p><p>क्षितिज  \: अटारी \:  गदरायी \:  दामिनि \:  दमकी \\ </p><p>‘क्षमा  \: करो \:  गाँठ  \: खुल  \: गयी \:  अब  \: भरम  \: की’ \\ </p><p>बाँध  \: टूटा  \: झर-झर  \: मिलन  \: अश्रु \:  ढरके \\ </p><p>मेघ  \: आये  \: बड़े  \: बन-ठन  \: के, \:  सँवर \:  के। \\

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