English, asked by khushipati0, 5 months ago

tell me a poetry on (gussa)​

Answers

Answered by DheeSaradaarnDi
30

 \huge{\fbox{\pink{उत्तर:-}}}

बहुत सारी चीज़ों पर आता है गुस्सा

सबकुछ तोड़फोड़ देने, तहस-नहस कर देने की एक आदिम इच्छा उबलती है

जिस पर विवेक धीरे-धीरे डालता है ठंडा पानी

कुछ देर बचा रहता है धुआं इस गुस्से का

तुम बेचैन से भटकते हो,

देखते हुए कि दुनिया कितनी ग़लत है, ज़िंदगी कितनी बेमानी,

एक तरह से देखो तो अच्छा ही करते हो

क्योंकि तुम्हारे गुस्से का कोई फ़ायदा नहीं

जो तुम तोड़ना चाहते हो वह नहीं टूटेगा

और बहुत सारी दूसरी चीजें दरक जाएंगी

हमेशा-हमेशा के लिए

लेकिन गुस्सा ख़त्म हो जाने से

क्या गुस्से की वजह भी ख़त्म हो जाती है?

क्या है सही- नासमझ गुस्सा या समझदारी भरी चुप्पी?

क्या कोई समझदारी भरा गुस्सा हो सकता है?

ऐसा गुस्सा जिसमें तुम्हारे मुंह से बिल्कुल सही शब्द निकलें

तुम्हारे हाथ से फेंकी गई कोई चीज बिल्कुल सही निशाने पर लगे

और सिर्फ वही टूटे जो तुम तोड़ना चाहते हो?

लेकिन तब वह गुस्सा कहां रहेगा?

उसमें योजना शामिल होगी, सतर्कता शामिल होगी

सही निशाने पर चोट करने का संतुलन शामिल होगा

कई लोगों को आता भी है ऐसा शातिर गुस्सा

उनके चेहरे पर देखो तो कहीं से गुस्सा नहीं दिखेगा

हो सकता है, उनके शब्दों में तब भी बरस रहा हो मधु

जब उनके दिल में सुलग रही हो आग।

तुम्हें पता भी नहीं चलेगा

और तुम उनके गुस्से के शिकार हो जाओगे

उसके बाद कोसते रहने के लिए अपनी क़िस्मत या दूसरों की फितरत

लेकिन कई लोगों के गुस्से की तरह

कई लोगों की चुप्पी भी होती है ख़तरनाक

तब भी तुम्हें पता नहीं चलता

कि मौन के इस सागर के नीचे धधक रही है कैसी बड़वाग्नि

उन लोगों को अपनी सीमा का अहसास रहता है

और शायद अपने समय का इंतज़ार भी।

कायदे से देखो

तो एक हद के बाद गुस्से और चुप्पी में ज़्यादा फर्क नहीं रह जाता

कई बार गुस्से से भी पैदा होती है चुप्पी

और चुप्पी से भी पैदा होता है गुस्सा

कुल मिलाकर समझ में यही आता है

कुछ लोग गुस्से का भी इस्तेमाल करना जानते हैं और चुप्पी का भी

उनके लिए गुस्सा भी मुद्रा है, चुप्पी भी

वे बहुत तेजी से चीखते हैं और उससे भी तेजी से ख़ामोश हो जाते हैं

उन्हें अपने हथियारों की तराश और उनके निशाने तुमसे ज्यादा बेहतर मालूम हैं

तुमसे न गुस्सा सधता है न चुप्पी

लेकिन इससे न तुम्हारा गुस्सा बांझ हो जाता है न तुम्हारी चुप्पी नाजायज़

बस थोड़ा सा गुस्सा अपने भीतर बचाए रखो और थोड़ी सी चुप्पी भी

मुद्रा की तरह नहीं, प्रकृति की तरह

क्योंकि गुस्सा भी कुछ रचता है और चुप्पी भी

हो सकता है, दोनों तुम्हारे काम न आते हों,

लेकिन दूसरों को उससे बल मिलता है

जैसे तुम्हें उन दूसरों से,

कभी जिनका गुस्सा तुम्हें लुभाता है, कभी जिनकी चुप्पी तुम्हें डराती है।

Answered by kp6213207
0

see the aatachment

good morning

Attachments:
Similar questions