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कवयित्री द्वारा ईश्वर प्राप्ति के सारे रास्ते काफी कठिन हैं , जिन्हें करके उनका सारा समय नष्ट हो गया और अब उन्हें पछतावा हो रहा है क्योंकि उनका समय व्यर्थ ही चला गया , और वे ईश्वर से मिल भी न सकीं | घर जाने की चाह से उनका तात्पर्य है कि वे अब जल्द से जल्द ईश्वर के पास जाना चाहती हैं |
कवयित्री का कहना है कि इंसान को न ही इस दुनिया के मोह - माया में लिप्त रहना चाहिए और न ही दुनिया से अलग | उन्होंने मध्यम मार्ग अपनाने को कहा है |
मनुष्य जब जन्म लेता है तो उसका जीवन सीधा , सरल और पाप रहित होता है | कवयित्री ने अपने जीवन में ईश्वर प्राप्ति के कठिन मार्ग अपनाये जिसके कारण उन्होंने जीवन में कोई अच्छा काम नहीं किया | वे अब दुविधा में पड़ गयी हैं कि वे ईश्वर के सामने कौनसे अच्छे काम पेश करेंगी |
कवयित्री कहती हैं कि ईश्वर का वास दुनिया के कण - कण में है वे हर मनुष्य के साँसों में बसते हैं |