Hindi, asked by ananya4513, 3 months ago

tell me this poem aarth​

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Answered by arunkumar151199
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कबीरदास जी कहते हैं कि जैसे खजूर के पेड़ की भाँति बड़े होने का कोई फायदा नहीं है, क्योंकि इससे न तो यात्रियों को छाया मिलती है, न इसके फल आसानी से तोड़े जा सकते हैं। अर्थात् बड़प्पन के प्रदर्शन मात्र से किसी का लाभ नहीं होता।

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