Ten sentence on circus in hindi...
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सर्कस (Circus) एक चलती-फिरती कलाकारों की कम्पनी होती है जिसमें नट (acrobats), विदूषक (clown), अनेक प्रकार के जानवर (जैसे टाइगर आदि) एवं अन्य प्रकार के भयानक करतब दिखाने वाले कलाकार होते हैं। सर्क्स एक वृत्तिय या अण्डाकार घेरे (रिंग) में दिखाया जाता है जिसके चारो तरफ दर्शकों के बैठने की व्यवस्था होती है। अधिकांशत: यह सब कुछ एक विशाल तम्बू के नीचे व्यवस्थित होता है।
Explanation:
सर्कस मनोरंजन का एक बहुत अच्छा साधन है । इसे देखने से ज्ञान भी प्राप्त होता है । उन दिनों ‘द ग्रेट इंडिया सर्कस’ आया हुआ था । एक दिन मुझे अपने बड़े भाई साहब के साथ सर्कस देखने का अवसर मिला । मेरे भाई साहब गृहमंत्रालय में अधिकारी हैं ।
उन्होंने पहले से ही टिकिट बुक करवा ली थीं । रविवार का दिन था । हम समय से वहां पहुंच गये । कए विशाल तंबू में सर्कस लगा हुआ था । अनेक छोटे-बड़े तम्बू और थे । चारों ओर टीनों का बहुत बड़ा घेरा था । मुख्य द्वार पर बहुत चहल-पहल थी । बड़े-बड़े कट आऊट, पोस्टर और चित्र लग हुये थे, जिसमें सर्कस के विभिन्न दृश्य थे ।
रंग-बिरंगे बिजली के बल्बों की अंतहीन मलायें जल रही थी । लाऊडस्पीकर पर फिल्मी गीत बज रहे थे । हम अंदर गये और देखा कि वहां दर्शकों की बड़ी भीड़ थी । चारों ओर सीढ़ीनुमा बैठने के स्थान थे । हमारा बैठने का स्थान सबसे आगे कुसियों पर था । शीघ्र ही सरकस का कार्यक्रम प्रारंभ हो गया और दर्शक मंत्रमुग्ध हो देखने लगे । सबसे पहले दो जोकर आये ।
एक जोकर बड़ा लम्बा था, तो दूसरा बौना । दोनों ने अपनी मजाकिया हरकतों और बातों से सबको हंसाया । इसके बाद हाथी, भालू, घोड़े और दूसरे जानवरों के करतब दिखाये गये । हर आइटम के बाद दर्शक ताली बजाकर अपनी प्रसन्नता प्रकट करते थे । झूलों पर कलाबाजियां भी बहुत रोचक थीं ।
लड़के और लड़कियां अपने प्राण खतरे में डालकर आश्चर्यजनक करतब दिखा रहे थे । एक आदमी ने चार बड़ी गेंदों को आकाश में उछालने का करतब दिखाया । वह उनको एक साथ उछाल रहा था, और किसी को भी गिरने नहीं देता था । इसी तरह के और भी कार्यक्रम थे ।
कई लड़कियों ने एक दूसरे पर खड़े होकर एक बहुत ऊंचा पिरामिड बनाया । फिर साइकिलों पर कई हैरतअंगेज कार्यक्रम दिखाये । एक पहियेवाली साइकिल पर किये गये करतब भी मनोरंजक थे । लेकिन शेरों वाला कार्यक्रम तो बिल्कुल ही अद्भुत था ।
रिंग मास्टर ने सात शेरों के साथ अपने करतब दिखाये । उनकी परेड निकाली, स्टूलों पर खड़ा किया, फिर दो स्कूलों के बीच में एक पटरी पर चलवाया । जलते हुए रिंग (गोले) में से एक शेर को कुदवाना भी आश्चर्यजनक था । मैं तो उस समय भयभीत ही हो गया जब रिंग मास्टर ने एक शेर के साथ कुश्ती .
देखकर बड़ा आनन्द भी आया । बीच में कभी कोई शेर धीरे से गुर्रा उठता तो रिंग मास्टर अपनी चाबुक फटकारकर उसे चेतावनी देता था और शेर शांत हो जाता था । बीच-बीच में वह आदमी शेरों को गुदगुदाता था या प्यार कर लेता था ।
सर्कस का सारा कार्यक्रम आनन्दायक रहा । इससे मेरे सामान्य ज्ञान में भी वृद्धि हुई । सरकस इन सब के अतिरिक्त लोगों को रोजगार दिलाती है । लेकिन कई बार मन में आता है कि जानवरों की ट्रेनिंग में क्या-क्या उपाय काम में लाये जाते होंगे । और इन में से कई बड़े कष्टमय और क्रूर भी होंगे ।
जंगल के इन जानवरों को उनकी स्वतंत्रता और स्वच्छंदता से वंचित करना कहां का न्याय है । उनकों पिंजरों में बंद कर तरह-तरह की यातना देना, पूरा भोजन आदि न देना, बहुत बड़ा अत्याचार है । मानवता इसकी आज्ञा नहीं देती । एक शेर को जो मीलों लम्बे-चौडे जंगल का एक मात्र राजा होता है उसे एक छोटे-से पिंजड़े में बंद कर देना चाबुक के इशारे पर इस तरह नचाना कितना भद्दा और हृदयहीन है ।
टेलीविजन, सिनेमा आदि के प्रचार-प्रसार ने सर्कसों की लोकप्रियता बहुत कम कर दी है । सर्कस अब कभी-कभार ही नजर आते हैं । लोगों में वन के पशुओं के प्रति भी जागरूकता बढ़ रही है । वे उनका इस तरह शोषण बिल्कुल पसंद नहीं करते । अच्छा हो अगर बिना जानवरों के ही सर्कस हो । उसमें केवल मनुष्य के ही करतब हों । उनकों ही और आधिक आकर्षक और लोमहर्षक बनाया जाय ।
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