Math, asked by manujat323, 5 hours ago


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Answers

Answered by pratikkumarsingh1357
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38976

it is so easy its mcq na

Answered by AryanKrishna980
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Answer:

#जातिगत_श्रेष्ठता:

जातिगत श्रेष्ठता का यह भाव, रेसियल सुपेरियोरिटी का भारतीय मानस पर कोलोनियल आरोपण के कारण उपजा है।

रेसियल सुपेरियोरिटी बाइबिल और कोरान की देन है। जिसमें फिरकापरस्ती इन बिल्ट है। 2000 साल का खूनी इतिहास इसका प्रमाण है।

क्या यह सच नहीं है कि हिटलर के नेतृत्व में 60 लाख यहूदियों और 40 लाख जिप्सियों का कत्ल यूरोपीय ईसाइयों ने इसी भाव के कारण किया था?

आक्रांताओं के अनुसार श्रेष्ठता का अर्थ है - क्रूर और पाशविक शक्ति की प्राप्ति।

और उसके द्वारा दूसरों की प्रताड़ना। जिसे persecution कहते हैं। 90% भारतीयों को तो persecution शब्द का अर्थ और सिद्धांत भी न पता होगा।

भारतीय संदर्भ में श्रेष्ठता का अर्थ अलग था और रहेगा।

विद्या ज्ञान देने के लिये।

धन दान देने के लिए।

और शक्ति कमजोरों की रक्षा करने के लिए।

यदि ऐसे भाव हैं तो जातिगत श्रेष्ठता में कोई दोष नहीं है।

परंतु यदि विद्या विवाद के लिए है।

धन मदान्ध करने के लिए है।

और शक्ति कमजोरों को परेशान करने के लिए है तो वह व्यक्ति खलु यानी दुष्ट कहलाता है।

किसी भी कुल में जन्म लेने से वह श्रेष्ठ न हो जाएगा।

हां अच्छे कुल में जन्म लेने से श्रेष्ठ संस्कार मिलने की संभावनाएं अधिक रहती हैं। जैसे एक डॉक्टर मां बाप के बच्चे के डॉक्टर बनने की संभावना ।

रॉवण ब्राम्हण कुल का था।

और दुर्योधन क्षत्रिय कुल का था।

वहीं रैदास निम्न कुल के थे।

जिनके गुरु एक ब्राम्हण था और शिष्या एक क्षत्रिय महारानी - मीरा।

स्पष्ट आदेश है:

विद्या विवदाय धनं मदाय शक्ति परेशां परपीड़नाय।

खलुश्च साधोर्विपरीतम एतद ज्ञानाय दानाय च रक्षणाय।।

और साधु का अर्थ है - आर्य सभ्य सज्जन महाकुल कुलीन सभ्य सज्जन साधवः। साधु की यह परिभाषा अमरसिंह प्रणीत अमरकोश से उद्धृत है।

किस कुल में पैदा होते हो उससे श्रेष्ठता तय होती तो रॉवण कुम्भकर्ण दुर्योधन भी पूज्य माने जाते।

डॉक्टर त्रिभुवन सिंह जी की वॉल से

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