विरह भुवंगम तन बसै, मंत्र न लागे कोइ
राम वियोगी ना जिवे, जिवै, जिवै तो बौरा होइ ।।
भाव स्पष्ट किजिये!!
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इस पंक्ति का भाव है कि जिस व्यक्ति के हृदय में ईश्वर के प्रति प्रेम रुपी विरह का सर्प बस जाता है, उस पर कोई मंत्र असर नहीं करता है। अर्थात भगवान के विरह में कोई भी जीव सामान्य नहीं रहता है। उस पर किसी बात का कोई असर नहीं होता है।
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HOPE IT HELPS YOU DEAR☺☺
HAVE A NICE DAY AHEAD ❤❤❤
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usually we take one or more important characteristics
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