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Answer:
425, मुखर्जी नगर,
नई दिल्ली।
दिनांक 5 मई, 20XX
सेवा में,
सम्पादक महोदय,
नवभारत टाइम्स,
नई दिल्ली।
विषय- 'स्वच्छ भारत अभियान' को सफल बनाने हेतु।
महोदय,
मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से सभी लोगों का ध्यान 'स्वच्छ भारत अभियान' की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। गाँधी जी की 145 वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के आरम्भ करने की घोषणा की थी। इस स्वच्छ्ता अभियान में हम सभी भारतीयों का कर्त्तव्य है कि हम इस अभियान को सफल बनाने में अपना सक्रिय योगदान दें। 'स्वच्छ भारत अभियान' वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों स्तर पर अत्यधिक लाभप्रद होगा।
अतः मेरी सभा से अपील है कि इस अभियान को सफल बनाने के लिए स्वयं को, अपने घर को, अपने पड़ोस को, अपने मोहल्ले को, अपने जिले को, अपने राज्य को और अपने देश को स्वच्छ रखने में सहयोग दें।
धन्यवाद।
भवदीया
ऋतिका
1) महोदय, मैं आपके प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के माध्यम से सभी लोगों का ध्यान 'स्वच्छ भारत अभियान' की ओर आकर्षित करना चाहती हूँ। गाँधी जी की 145 वीं जयन्ती के अवसर पर प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी ने इस अभियान के आरम्भ करने की घोषणा की थी। ... 'स्वच्छ भारत अभियान' वैयक्तिक एवं सामाजिक दोनों स्तर पर अत्यधिक लाभप्रद होगा।
2)पत्र
मुख्याध्यापक जी
निवेदन है की मेरी रुचि वाणिज्य विषयी में है याध्यपि विध्यालय मुझे विज्ञान के योग्य भी मान राह है और मेरे माता पिता भी चाहते है लेकिन मेरी विज्ञान में कोई रुचि न है कृपा करके मुझे वाणिज्य में स्थान्तरित
किया जय
धन्यवाद
का खा
3) पिछले दिनों आपकी अपने मित्र अरुण शर्मा के साथ अनबन हो गई थी, अब आपको अपनी गलती का एहसास हो गया है। आप अपने मन की भावनाएँ अपने मित्र के प्रति व्यक्त करते हुए अपने मित्र को पत्र लिखिए ।
न्यू शिमला सेक्टर-1
शिमला
171001
प्रिय अरुण शर्मा,
हेल्लो अरुण शर्मा आशा करता हूँ कि तुम ठीक होंगे। इस पत्र के माध्यम से तुमसे माफ़ी मांगना चाहता हूँ और साथ में बताना चाहता हूँ कि मुझे पानी अपनी गलती का एहसास हो गया है। पिछले दिनों मेरी तुम्हारे साथ कुछ अनबन हो गई थी, मुझे समझ आ गया कि मेरी गलती है, मुझे तुम्हारी स्थिति समझनी चाहिए थी।
तुम मेरी बहन की शादी में नहीं आए थे, मुझे तब तुम्हारी जरूरत थी मैंने अकेला था | इसलिए मुझे तुम पर गुस्सा था। मुझे समझना चाहिए था, उस समय तुम्हारे दादा जी बहुत बीमार थे, तुम नहीं आ सकते थे मुझे अब समझ आ गई कि तुम्हारे उस समय आना मुश्किल था ।
तुम मेरे सच्चे मित्र हो। मैं तुम्हें खोना नहीं चाहता हूँ, हो सके तो माफ़ करना और मेरी भावनाओं को समझना | जल्दी मिलेंगे। अपना ध्यान रखना । तुम्हारा मित्र,
रितेश वर्मा
4) कल आपके द्वारा भेजा गया उपहार मिला। उसे देखकर खुशी का ठिकाना नहीं रहा। आपने मेरे लिए घड़ी भेजी थी, वह बहुत ही प्यारी लगी। परन्तु यह जानकर बहुत दुख हुआ कि आपकी तबीयत खराब है और आप इसके बाद भी मेरे लिए बाज़ार गए।
अब आपकी तबीयत कैसी है? क्या आप डॉक्टर को दिखाने गए थे? डॉक्टर ने आपसे क्या कहा है? दादाजी आप इस तरह से अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ न करें। हमें आपकी बहुत ज़रूरत है। अपना ध्यान रखें और अपने स्वास्थ्य के विषय में मुझे सारी जानकारी अवश्य लिखकर भेजिएगा। मुझे आपके पत्र का इंतज़ार रहेगा।
अब पत्र समाप्त करता हूँ। घर में माँ-बापूजी तथा दादीजी को मेरा प्रणाम कहिएगा।
5) विदेश जाने का अवसर मिलने पर भी मैंने देश सेवा ही उचित माना और यहीं। पर कार्यरत हूँ। स्वदेशी वस्तुओं को ही प्राथमिकता देता हूँ। स्वतंत्र भारत में सभी वस्तुएँ उत्तम श्रेणी की बनने लगी हैं।
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