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sᴏʜᴀɴ ᴛᴏʟᴅ ᴍᴏʜᴀɴ ᴛʜᴀᴛ ʜᴇ ᴡᴀs ɢᴏɪɴɢ ᴛᴏ sᴄʜᴏᴏʟ. ᴛʜᴇ ᴡᴏʀᴅs ᴡʜɪᴄʜ ɢᴇɴᴇʀᴀʟʟʏ ᴄᴏᴍᴇ ʙᴇғᴏʀᴇ ᴛʜᴇ ɪɴᴠᴇʀᴛᴇᴅ ᴄᴏᴍᴍᴀs ᴀʀᴇ ᴄᴀʟʟᴇᴅ ᴛʜᴇ ʀᴇᴘᴏʀᴛɪɴɢ ᴘᴀʀᴛ, ɪ.ᴇ. sᴏʜᴀɴ sᴀɪᴅ ᴛᴏ ᴍᴏʜᴀɴ *ᴛʜᴇ sᴜʙᴊᴇᴄᴛ ‘sᴏʜᴀɴ’ ɪs ᴄᴀʟʟᴇᴅ ᴛʜᴇ ʀᴇᴘᴏʀᴛɪɴɢ sᴜʙᴊᴇᴄᴛ. *ᴛʜᴇ ᴠᴇʀʙ ‘sᴀɪᴅ’, ɪs ᴄᴀʟʟᴇᴅ ᴛʜᴇ ʀᴇᴘᴏʀᴛɪɴɢ ᴠᴇʀʙ. *ᴛʜᴇ ᴏʙᴊᴇᴄᴛ ‘ᴍᴏʜᴀɴ’ ɪs ᴄᴀʟʟᴇᴅ ᴛʜᴇ ʀᴇᴘᴏʀᴛɪɴɢ ᴏʙᴊᴇᴄᴛ . ᴛʜᴇ ᴡᴏʀᴅs sᴘᴏᴋᴇɴ ʙʏ sᴏʜᴀɴ ᴀɴᴅ ᴘᴜᴛ ᴡɪᴛʜɪɴ ɪɴᴠᴇʀᴛᴇᴅ ᴄᴏᴍᴍᴀs ᴀʀᴇ ᴄᴀʟʟᴇᴅ ᴛʜᴇ ʀᴇᴘᴏʀᴛᴇᴅ sᴘᴇᴇᴄʜ, ɪ.ᴇ. “ɪ ᴀᴍ ɢᴏɪɴɢ ᴛᴏ sᴄʜᴏᴏʟ.”
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हिंदुस्तान को दूसरे देशों पर ज्यादा भरोसा ना कर आत्मनिर्भर और आत्मविश्वास ही होना चाहिए। दूसरे शब्दों में आत्म-सहायता और आत्मनिर्भरता ही भारतवासियों के जीवन का मूल सिद्धांत, मूल आदर्श एवं उसके भविष्य का मूल तंत्र होना चाहिए।
भारतीय इतिहास में महात्मा गांधी ने देशवासियों को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से विभिन्न चरखा समितियों तथा लघु उद्योगों से जुड़ने की प्रेरणा दिए एवं उन्होंने आत्मनिर्भरता को देश की स्वतंत्र करने के लिए एक महत्वपूर्ण औजार माना। गांधीजी का मानना था कि निर्भरता गुलामी को जन्म देती है। एक आत्मनिर्भर देश ही सशक्त देश बनता है।
आत्मनिर्भर भारत में भारतीय संविधान एवं लोकतंत्र की बड़ी भूमिका रही है। भारतीय संवैधानिक एवं लोकतांत्रिक सुधार प्रक्रिया का ही देन है कि वर्तमान में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार मौजूदा श्रम कानूनों में बड़ा बदलाव करने जा रही है। कोड ऑफ ऑक्यूपेशनल सेफ्टी, हेल्थ एंड वर्किंग कंडीशन बिल, 2019 को कैबिनेट की मंजूरी मिल चुकी है। दरअसल सरकार मौजूदा 44 श्रम कानूनों की जगह सिर्फ 4 कानून रखना चाहती है। ये बदलाव कर्मचारियों के हित को ध्यान में रखकर किए जा रहे हैं ताकि शोषण रहित खुशहाल आत्मनिर्भर भारत का विकास हो सके ।
भारत के 75 वर्ष आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में एक मील का पत्थर साबित हुआ है। भारत के आजादी के बाद पंचवर्षीय योजनाएं बनाकर भारत में औद्योगिक निर्माण की शुरुआत की गई। इसी की देन है कि वर्ष 1955 में हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, भिलाई एवं 1959 में हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड, राउरकेला तथा 1959 में ही हिंदुस्तान स्टील लिमिटेड दुर्गापुर की स्थापना क्रमश: पूर्व सोवियत संघ (रूस) जर्मनी तथा ब्रिटेन की सहायता से हुई और आत्मनिर्भर भारत को मजबूती मिली।
वर्तमान में कोविड-19 महामारी संकट को एक अवसर के रूप में देखना चाहिए,और इसी महामारी संकट में डिजिटल क्रांति ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। दरअसल कोविड-19 महामारी संकट और डिजिटल क्रांति ने लिंगभेद, जात-पात एवं भेद-भाव के लकीर को मिटा कर श्रेष्ठ भारत आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए सभी को एक समान मंच उपलब्ध कराया है।
कोरोना वायरस के बढ़ते संकट के इस दौर में सबसे बड़ी मार किसानों पर पड़ी है। इस हिसाब से आत्मनिर्भर भारत अभियान में तीन करोड़ किसानों को ₹4.22 लाख करोड़ का कृषि लोन दिया गया है। इस तरह आत्मनिर्भर भारत अभियान में मोदी सरकार ने किसानों को और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हाथ में अधिक पैसे पहुंचाने की कोशिश की है। इसके साथ ही राज्यों को रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फंड के लिए ₹4200 करोड़ की मदद की गई है।
वर्तमान वैश्वीकरण के युग में आत्मनिर्भरता(Self Reliance) की परिभाषा में बदलाव आया है। आत्मनिर्भरता(Self Reliance), आत्म केंद्रित (self-centered) से अलग है। भारत 'वसुधैव कुटुंबकम' की संकल्पना में विश्वास करता है। चुकी भारत दुनिया का ही एक हिस्सा है अतः भारत प्रगति करता है तो ऐसा करके वह दुनिया की प्रगति में भी अपना योगदान देता है। "आत्मनिर्भर भारत" के निर्माण में वैश्वीकरण का बहिष्करण नहीं किया जायदा अपितु दुनिया के विकास में मदद की जाएगी।