दो अनुच्छेद लिखें।
1) जीवन में खेल, कूद का महत्व
2) हमारी धरती और प्रदूषण।
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1) खेलकूद से विद्यार्थियों में नेतृत्व, आज्ञा पालन, समान लक्ष्य के लिए मिलकर काम करना, खेल की भावना, साहस, सहनशीलता जैसे आवश्यक सद्गुणों का विकास होता है. साथ ही शरीर की अच्छी कसरत भी हो जाती है. उपर्युक्त गुणों से संपन्न, स्वस्थ शरीर के बालक ही आगे चलकर देश के योग्य नागरिक बन सकते हैं. देश-रक्षा के लिए सेना को ऐसे ही शक्तिशाली युवाओं की आवश्यकता होती है. भारत जैसा विकासशील देश विशाल नियमित सेना का खर्च नहीं उठा सकता. हमारे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे अपने शरीर को सुदृढ़ बनायें, ताकि आवश्यकता पड़ने पर युद्ध के दौरान वे सैनिकों के कन्धा-से-कन्धा मिलाकर देश-रक्षा में अपना योगदान दे सकें.
स्वास्थ्य ही सच्ची सम्पति है
‘स्वास्थ्य ही धन है’ एक पुरानी कहावत है, जो आज भी उतनी ही सच है. अनेक प्रकार के खेलकूदों के द्वारा विद्यार्थी अपने स्वास्थ्य और शरीर का निर्माण कर सकते है. इनके द्वारा स्वच्छ वायु और खुले वातावरण में अच्छी कसरत हो जाती है. सारे दिन पढ़ाई या काम करते-करते व्यक्ति खिन्न हो जाता है. खेलों के द्वारा यह खिन्नता और उदासी बड़ी आसानी से दूर हो जाती है और मन प्रफुल्लित हो जाता है. भारत को ऐसे किताबी कीड़ों की आवश्यकता नहीं है, जिनके गाल पिचके और आँखें घंसि हों. अच्छे विद्यार्थियों से अपेक्षा की जाती है कि वे सभी बातों पर समुचित ध्यान दें. उसे पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए. लेकिन खेलकूद तथा अन्य गतिविधियों की अवहेलना नहीं करनी चाहिए. उसे इस कहावत का पालन करना चाहिए कि “काम के समय काम और खेल के समय खेल. सुख और प्रसन्नता का यही मार्ग है.”
2)प्रदूषण हमारे प्राकृतिक संसाधनों में अवांछित पदार्थों की उपस्थिति को संदर्भित करता है; उन्हें प्रदूषित करना और समग्र पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। पर्यावरण प्रदूषण से ग्लोबल वार्मिंग और अप्रत्याशित जलवायु परिवर्तन होते हैं, इसके अलावा प्राकृतिक संसाधनों को नष्ट करना पर्यावरण और पृथ्वी पर जीवन को नुकसान पहुंचाता है।
पर्यावरणीय प्रदूषण पैदा करने वाले प्रमुख कारक मानव जनित हैं – जीवाश्म ईंधन का उत्पादन और दहन वायु को प्रदूषित करता है, कीटनाशकों के उपयोग से मिट्टी प्रदूषित होती है, प्लास्टिक के प्रदूषण से महासागरों और जल निकायों का अपव्यय होता है, वनों की कटाई से वायु प्रदूषण होता है आदि ग्रह पर प्राकृतिक संसाधन सीमित हैं लेकिन उन्हें प्रदूषित करने वाले कारक कई हैं। प्राकृतिक संसाधनों की बहाली और संरक्षण की दिशा में तत्काल पर्याप्त उपाय करने की वैश्विक आवश्यकता है, इससे पहले कि वे वापसी के बिंदु तक क्षतिग्रस्त हो जाएं।
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जीवन में खेल, कूद का महत्व
खेल हमारे जीवन का एक एहम हिस्सा है, यह हमारे शारीरिक एवम् मानसिक दोनो ही विकास का श्रोत है. यह हमारे शरीर के रक्त परिसंचरण मे सहायक है, वही दूसरी ओर हमारे दिमागी विकास मे लाभकारी है. खेल व्यायाम का सबसे अच्छा साधन माना जाता है. खेल ही हमारे शरीर को हस्ट-पुस्ट, गतिशील एवं स्फूर्ति प्रदान करने मे सहायक होते है.
एक सफल इंसान के लिए चाहिए कि वह मानसिक तथा शारीरिक दोनो रूप से स्वस्थ रहे, मानसिक विकास की शुरुआत हमारे स्कूल के दिनो से होना प्रारंभ हो जाती है, किंतु शारीरिक विकास के लिए व्यायाम ज़रूरी है जो हमे खेलो के माध्यम से प्राप्त होता है.
खेल कई तरह के होते है जिन्हे मुख्यतः दो वर्गो मे बाँटा गया है इनडोर एवं आउटडोर. इनडोर खेल जैसे ताश, लुडो, केरम सांपसीडी आदि ये मनोरंजन के साथ साथ बोधिक विकास मे सहायक होते है, वही आउटडोर खेल जैसे क्रिकेट, फूटबॉल, हॉकी, बेटमिंटन, टेनिस, वॉलीबॉल आदि शरीर को स्वस्थ बनाए रखने मे लाभकारी है. इन दोनो वर्गो मे अंतर बस इतना है कि आउटडोर खेलो के लिए बड़े मैदान की आवश्यकता होती है, यह खेल हमारे शरीर के फिटनेस एवं तंदुरुस्त बनाए रखने मे सहायक है जबकि इनडोर खेलो मे ऐसे बड़े मैदान की ज़रूरत नही होती है, यह घर आँगन कही भी खेले जा सकते है. इन खेलो मे सभी पीढ़ी के लोग चाहे बालक, युवा और चाहे व्रध्य पीढ़ी ही क्यों ना हो, सभी अपनी रूचि रखते है. आउटडोर खेल हमारे शारीरिक विकास मे लाभकारी होते है, वही दूसरी ओर शरीर को स्वस्थ सुडोल तथा सक्रिय बनाए रखते है, जबकि इनडोर खेल हमारे दिमागी स्तर को तेज (चेस) करते है. साथ ही साथ मनोरंजन का उतम स्त्रोत माने जाते है.
हमारी धरती और प्रदूषण।
प्रस्तावना : विज्ञान के इस युग में मानव को जहां कुछ वरदान मिले है, वहां कुछ अभिशाप भी मिले हैं। प्रदूषण एक ऐसा अभिशाप हैं जो विज्ञान की कोख में से जन्मा हैं और जिसे सहने के लिए अधिकांश जनता मजबूर हैं।
प्रदूषण का अर्थ : प्रदूषण का अर्थ है -प्राकृतिक संतुलन में दोष पैदा होना। न शुद्ध वायु मिलना, न शुद्ध जल मिलना, न शुद्ध खाद्य मिलना, न शांत वातावरण मिलना।
प्रदूषण कई प्रकार का होता है! प्रमुख प्रदूषण हैं - वायु-प्रदूषण, जल-प्रदूषण और ध्वनि-प्रदूषण
वायु-प्रदूषण : महानगरों में यह प्रदूषण अधिक फैला है। वहां चौबीसों घंटे कल-कारखानों का धुआं, मोटर-वाहनों का काला धुआं इस तरह फैल गया है कि स्वस्थ वायु में सांस लेना दूभर हो गया है। मुंबई की महिलाएं धोए हुए वस्त्र छत से उतारने जाती है तो उन पर काले-काले कण जमे हुए पाती है। ये कण सांस के साथ मनुष्य के फेफड़ों में चले जाते हैं और असाध्य रोगों को जन्म देते हैं! यह समस्या वहां अधिक होती हैं जहां सघन आबादी होती है, वृक्षों का अभाव होता है और वातावरण तंग होता है।
जल-प्रदूषण : कल-कारखानों का दूषित जल नदी-नालों में मिलकर भयंकर जल-प्रदूषण पैदा करता है। बाढ़ के समय तो कारखानों का दुर्गंधित जल सब नाली-नालों में घुल मिल जाता है। इससे अनेक बीमारियां पैदा होती है।
ध्वनि-प्रदूषण : मनुष्य को रहने के लिए शांत वातावरण चाहिए। परन्तु आजकल कल-कारखानों का शोर, यातायात का शोर, मोटर-गाड़ियों की चिल्ल-पों, लाउड स्पीकरों की कर्णभेदक ध्वनि ने बहरेपन और तनाव को जन्म दिया है।
प्रदूषणों के दुष्परिणाम: उपर्युक्त प्रदूषणों के कारण मानव के स्वस्थ जीवन को खतरा पैदा हो गया है। खुली हवा में लम्बी सांस लेने तक को तरस गया है आदमी। गंदे जल के कारण कई बीमारियां फसलों में चली जाती हैं जो मनुष्य के शरीर में पहुंचकर घातक बीमारियां पैदा करती हैं। भोपाल गैस कारखाने से रिसी गैस के कारण हजारों लोग मर गए, कितने ही अपंग हो गए। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण न समय पर वर्षा आती है, न सर्दी-गर्मी का चक्र ठीक चलता है। सुखा, बाढ़, ओला आदि प्राकृतिक प्रकोपों का कारण भी प्रदूषण है।
प्रदूषण के कारण : प्रदूषण को बढ़ाने में कल-कारखाने, वैज्ञानिक साधनों का अधिक उपयोग, फ्रिज, कूलर, वातानुकूलन, ऊर्जा संयंत्र आदि दोषी हैं। प्राकृतिक संतुलन का बिगड़ना भी मुख्य कारण है। वृक्षों को अंधा-धुंध काटने से मौसम का चक्र बिगड़ा है। घनी आबादी वाले क्षेत्रों में हरियाली न होने से भी प्रदूषण बढ़ा है।
सुधार के उपाय : विभिन्न प्रकार के प्रदूषण से बचने के लिए चाहिए कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं, हरियाली की मात्रा अधिक हो। सड़कों के किनारे घने वृक्ष हों। आबादी वाले क्षेत्र खुले हों, हवादार हों, हरियाली से ओतप्रोत हों। कल-कारखानों को आबादी से दूर रखना चाहिए और उनसे निकले प्रदूषित मल को नष्ट करने के उपाय सोचना चाहिए।
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