Hindi, asked by ujjwal1045326g, 4 months ago

दो अर्थालंकारों तथा दो शब्दालंकारों के नाम
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Answered by ahtisham16
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Answer:

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Explanation:

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Answered by rsharma03933
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जिस अलंकार में अर्थ के माध्यम से काव्य में चमत्कार उत्पन्न होता है, वहाँ अर्थालंकार होता है। इसके प्रमुख भेद हैं।

उपमा

मुख्य लेख : उपमा अलंकार

जहाँ एक वस्तु या प्राणी की तुलना अत्यंत सादृश्य के कारण प्रसिद्ध वस्तु या प्राणी से की जाए, वहाँ उपमा अलंकार होता है। उपमा अलंकार के चार तत्व होते हैं-

उपमेय - जिसकी उपमा दी जाए अर्थात् जिसका वर्णन हो रहा है।

उपमान - जिससे उपमा दी जाए।

साधारण धर्म - उपमेय तथा उपमान में पाया जाने वाला परम्पर समान गुण।

वाचक शब्द - उपमेय और उपमान में समानता प्रकट करने वाला शब्द जैसे- ज्यों, सम, सा, सी, तुल्य, नाई।

जिस अलंकार में शब्दों के प्रयोग के कारण कोई चमत्कार उपस्थित हो जाता है और उन शब्दों के स्थान पर समानार्थी दूसरे शब्दों के रख देने से वह चमत्कार समाप्त हो जाता है, वह शब्दालंकार माना जाता है। शब्दालंकार के प्रमुख भेद हैं।

अनुप्रास

मुख्य लेख : अनुप्रास अलंकार

जिस रचना में व्यंजन वर्णों की आवृत्ति एक या दो से अधिक बार होती है, वहाँ अनुप्रास अलंकार होता है।

जैसे

मुदित महीपति मंदिर आए।

सेवक सुमंत्र बुलाए।

यहाँ पहले पद में 'म' वर्ण की और दूसरे वर्ण में 'स' वर्ण की आवृत्ति हुई है, अतः यहाँ अनुप्रास अलंकार है। इसके निम्न भेद है:-

यमक

मुख्य लेख : यमक अलंकार

जब कविता में एक ही शब्द दो या दो से अधिक बार आए और उसका अर्थ हर बार भिन्न हो वहाँ यमक अलंकार होता है।

जैसे

काली घटा का घमण्ड घटा।

यहाँ 'घटा' शब्द की आवृत्ति भिन्न-भिन्न अर्थ में हुई है। पहले 'घटा' शब्द 'वर्षाकाल' में उड़ने वाली 'मेघमाला' के अर्थ में प्रयुक्त हुआ है और दूसरी बार 'घटा' का अर्थ है 'कम हुआ'। अतः यहाँ यमक अलंकार है।

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