दो बात कही, दो बात सुनी। कुछ हँसे और फिर कुछ रोए। छककर सुख-दुख के घूँटों को हम एक भाव से पिए चले। पंकितयों का आशय स्प
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इसमें कवि कहता है कि हमने एक दूसरे से बातचीत की, कुछ देर तक हँसे और कुछ देर तक रोये, सुख दुख को एक समान समझकर हमें आगे बढ़ते रहना चाहिए|
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