दो बच्चों वाली एक महिला गांव में घरेलू सहायक के रूप में काम कर रही है। वह अपने बच्चों को पढ़ाना चाहती है परन्तु असफल रहती है।" आप गांव के सरपंच के कार्यालय में जाकर नि:शुल्क और अनिवार्य शिक्षा से सम्बन्धित कार्यक्रमों और नीतियों की जानकारी प्राप्त कीजिए। गांव के सरपंच के कार्यालय से प्राप्त जानकारी के आधार पर एक रिपोर्ट लिखते हुए सरपंच द्वारा बच्चों की शिक्षा को सुनिश्चित करने के लिए तरीके सुझाइये। 66 A ter 1dnn.
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बाल्यावस्था कि विभिन्न अवस्थाओं में बच्चों की विभिन्न जरूरतों की पूर्ति सुनिश्चित करने में ग्राम पंचायतें द्वारा एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह करना आवश्यक है। ग्राम पंचायत द्वारा इस भूमिका का निर्वाह करने के लिए यह आवश्यक है। ग्राम पंचायत द्वारा भूमिका का निर्वहन करने के लिए यह आवश्यक है कि ग्राम पंचायत बच्चों के जन्म, वृद्धि, विकास सरंक्षण से संबंधित सभी आवश्यकताओं के बारे में पूरी तरह से अवगत हो। ग्राम पंचायत को अपने ग्राम पंचायत क्षेत्रों में बच्चों से जुड़े सभी प्रमुख मुद्दों को स्पष्टता के साथ समझना चाहिए जिनका निवारण उसे स्वयं को एक बाल- हितैषी ग्राम पंचायत बनाने के उद्देश्य से करना है।
बच्चों की स्थिति पर ग्राम पंचायत की समझ
किस प्रकार ग्राम पंचायत अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र में बच्चों से जुड़े सभी प्रमुख मुद्दों की पहचान कर सकती हैं ताकि उनके निवारण के लिए कार्यनीति तैयार कर सके। इन मुद्दों पर की जाने वाली अनुवर्ती कारवाई के लिए इन पर ग्राम सभा में विचार – विमर्श करने ग्राम पंचायत के लिए बाल विकास योजना विकसित करने के लिए ग्राम पंचायत को बच्चों से संबंधित मुद्दों की स्पष्ट जानकारी होना आवश्यक है।
बाल्यावस्था की विभिन्न अवस्थाओं में बच्चों की विकास संबंधी आवश्यकताएं
किसी ग्राम पंचायत क्षेत्र के समस्त बच्चों की विभिन्न आवश्यकताओं को निम्नानुसार चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:
उत्तरजीविता संबंधी आवश्यकताएँ
विकास संबंधी आवश्यकताएं
संरक्षण से जुड़ी आवश्यकताएं
भागदारी से जुड़ी आवश्यकताएं
जैसा कि हमने सीखा है, विकास की विभिन्न अवस्थाओं पर बच्चों की आवश्यकताएं तथा उनकी परिस्थितियों भिन्न – भिन्न होती है। अत: 0-18 वर्ष के आयु – वर्ग के बीच बाल्यावस्था के विभिन्न चरणों को समझना महत्वपूर्ण है। नीचे दी गई ये अवस्थाएँ बच्चों की वृद्धि एवं विकास की अवस्थाओं के रूप में जानी है।
प्रसव पूर्व अवस्था (गर्भावस्था के दौरान)
शैशवकाल (जन्म से 3 वर्ष तक)
प्रारंभिक बचपन की अवस्था (3-6 वर्ष तक)
मध्य बचपन की अवस्था (6-10 /12 वर्ष )
किशोरावस्था (