दो-चार दिन वे इसी प्रकार दिन में इधर-उधर गुप्तवास करते और रात में रद्दी की टोकरी में प्रकट होते रहे।फिर आश्वस्त हो जाने पर कभी मेरी मेज पर, कभी कुर्सी पर और कभी मेरे सिर पर अचानक आविर्भूत होने लगे। खिड़कियों में तो जली थी ,पर दरवाजा मुझे निरंतर बंद रखना पड़ता था । खुला रहने पर चित्रा नव आगंतुकों का पता लगा सकती थी और तब उसके शोध का क्या परिणाम होता ,यह अनुमान करना कठिन नहीं है।वैसे वह चूहों पर आक्रमण नहीं करती, परंतु यहां तो दो सर्वथा अपरिचित पक्षियों की अनाधिकार चेष्टा का प्रश्न था ।
(1) दो-चार दिन गुप्त बात किसने किया !
(अ) खरगोश ने (ब) बिल्ली ने
(स) मोर के जोड़े ने (द) हिरनी ने
(2) खिड़कियों मैं क्या लगी थी ?
(अ) जाली (ब) दरवाजे
(स) ताला (द) सलाखें
(3) बिल्ली का नाम क्या था ?
(अ) रितिका (ब) चित्रा
(स) प्रिया (द) विचित्रा
(4) बिल्ली किन पर आक्रमण नहीं करती ?
(अ) चूहों पर (ब) बच्चों पर
(स) खरगोश पर (द) किसी पर नहीं
(5) नव आगंतुक कौन थे ?
(अ) मोर के बच्चों का जोड़ा (ब) कबूतर के बच्चों का जोड़ा
(स) चिड़िया के बच्चों का जोड़ा (द) खरगोश के बच्चों का जोड़ा
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- ..
- जाली
- चित्रा
- चूहों पर
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