ठंडे पानी से नहलातीं, ठंडा चंदन इन्हें लगातीं, इनका भोग हमें दे जातीं, फिर भी कभी नहीं बोले हैं। माँ के ठाकुर जी भोले हैं। meaning
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it is a poem of mahadevi verma
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क्यो की वह कोई और नहीं बल्कि भगवान की बात कर रहे हैं
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