दिए गए अनुच्छेद में विशेषण और विशेश्य छांट कर लिखिए –
उस दिन गौरा को ध्यानपूर्वक देखने पर उसकी ओर मेरा आकर्षित होना स्वाभाविक ही था। पुष्ट लचीले पैर, भरे पुढे,
चिकनी भरी हुई पीठ, लंबी सुडौल गरदन, निकलते हुए छोटे-छोटे सींग, भीतर की लालिमा की झलक देते हुए कमल की
दो अधखुली पंखुड़ियों जैसे कान, लंबी और अंतिम छोर पर काले सक्न चामर का स्मरण दिलाने वाली पूँछ, सब कुछ
साँचे
में ढला हुआ-सा था।
संस्कृत के वे शब्द जो हिंदी भाषा में ज्यों-के-त्यों प्रयोग होते हैं. उन्हें तत्सम शब्द कहते हैं तथा संस्कृत के वे शब्द जो
कुछ परिवर्तित रूप में हिंदी भाषा में प्रयोग होते हैं, उन्हें तद्भव शब्द कहते हैं; जैसे- पक्व (तत्सम)- पक्का (तद्भव)
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