Hindi, asked by APanMelon, 1 month ago

दिए गए गद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए मनुष्य के जीवन में संतोष का महत्वपूर्ण स्थान है। संतोषी मनुष्य सुखी रहता है। असंतोष हर बीमारी की जड़ है। कबीर ने कहा है कि रुपये पैसे से कभी संतोष नहीं मिलता। संतोष रूपी दौलत मिलने पर समस्त वैभव धूल के समान प्रतीत होता है। मनुष्य जितना रुपया पाता जाता है, उतना ही असंतोष पैदा होता जाता है। यह असंतोष मानसिक तनाव उत्पन्न करता है, जो अनेक रोगों की जड़ है। रुपया-पैसा मनुष्य को समस्याओं में उलझा देता है। संत को संतोषी बताया गया है क्योंकि केवल भोजन की प्राप्ति से उसे संतोष मिल जाता है। हमें संत जैसा होना चाहिए और अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए। जब इच्छाएँ हम पर हावी हो जाती हैं तो हमारा मन सदा असंतुष्ट रहता है। हमें कभी सांसारिक चीजें संतोष नहीं दे सकतीं। संतोष का संबंध मन से है। संतोष सबसे बड़ी दौलत है। इसके सामने रुपया-पैसा एवं सोना-चाँदी सब कुछ बेकार है। (i) हम पर जब इच्छाएँ हावी हो जाती हैं तब क्या होता है ? (ii) संतोष का संबंध किससे है? (iii) संतोष रूपी दौलत मिलने से क्या होता है ? (iv) 'संतोष' का विलोम शब्द चुनिए।




DO NOT ANSWER IF YOU DON'T KNOW

Answers

Answered by nitishbhu555
0

Answer:

sorry main answer Nahin De Sakta

Explanation:

“लोग कहते हैं दु:ख बुरा होता है जब भी आता है

रुलाकर जाता है !

लेकिन हम कहते दु:ख अच्छा होता है जब भी

आता है कुछ सीखा कर जाता है !!”

- via bkb.ai/quotes“जब कोई आपकी क़दर न करें !

तब आपका उसकी ज़िन्दगी से दूर चले जाना

बेहतर है !!”

- via bkb.ai/पत्निः हॅलो कहाँ हो?

पतिः पिछली दिपावली हम ज्वेलरी के दुकान गये थे ना जहाँ तुमने एक हार पसंद किया था।

पत्निः हाँ!

पतिः ओर उस टाइम मेरे पास पैसे नहीँ थे

पत्नि खुशी सेः हाँ याद है।

पतिः ओर मेने कहा था की ये हार एक दिन मे तुम्हे लेके दुँगा।

पत्नी ओर ज्यादा खुशी सेः हाँ हाँ बहुत अच्छी तरह से याद है।

पतिः तो बस उसी की बगल वाली दुकान मे बाल कटवा रहा हुँ!

थोङा लेट आउंगा…

- via bkb.ai/jokes

Answered by MissIncredible34
4

Explanation:

असंतोष हर बीमारी की जड़ है। कबीर ने कहा है कि रुपये पैसे से कभी संतोष नहीं मिलता। संतोष रूपी दौलत मिलने पर समस्त वैभव धूल के समान प्रतीत होता है। मनुष्य जितना रुपया पाता जाता है, उतना ही असंतोष पैदा होता जाता है। यह असंतोष मानसिक तनाव उत्पन्न करता है, जो अनेक रोगों की जड़ है। रुपया-पैसा मनुष्य को समस्याओं में उलझा देता है। संत को संतोषी बताया गया है क्योंकि केवल भोजन की प्राप्ति से उसे संतोष मिल जाता है। हमें संत जैसा होना चाहिए और अपनी इच्छाओं को सीमित रखना चाहिए। जब इच्छाएँ हम पर हावी हो जाती हैं तो हमारा मन सदा असंतुष्ट रहता है। हमें कभी सांसारिक चीजें संतोष नहीं दे सकतीं। संतोष का संबंध मन से है।

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