१-दिए गए गद्यांश को ध्यान पूर्वक पढ़कर प्रश्नो के उत्तर लिखिए -
किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कृष्ट लगन कार्य में अटूट श्रद्धा एवं अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास
आवश्यक है। विश्वास एकाग्रता लगन संतुलन श्रद्धा आदि साहस के ऊपर निर्भर करती है क्योकि मनुष्य का सबसे प्रथम
गुण है साहस । साहस अन्य गुणों का प्रतिनिधित्व करता है। यदि तन और वाणी सशक्त हो तो उनके द्वारा प्राप्त कार्य
शक्ति के आगे भाग्य स्वयं नतमस्तक हो जाता है। साहसी की प्रतिभा के सामने शोक और भय भाग जाते है। साहसी को
संसार भी रास्ता देता है। मनुष्य में सब गुण हो वह विद्वान और धनवान हो शक्तिशाली हो पर यदि उसमे साहस न हो तो
वह अपने सब गुणों योग्यताओ व शक्तियों का उपयोग नहीं कर सकता। साहस मनुष्य के व्यक्तित्व का नायक है। साहस
व्यक्ति को निर्भय
बनाता है और जहा निर्भयता होती है वहा सफलता निश्चित है। निर्भयता से ही आत्मविश्वाश जाग्रत होता है।
आत्मविश्वास के अभाव में हम उस प्रत्येक कार्य को करते हुए डरेंगे जो हमने
पहले नहीं किये और जो बिलकुल नया है। जिनके संकल्प अधूरे होते है जो संशय-ग्रस्त
होते है वे कोई बड़ा काम नहीं कर पाते। और कुछ करते भी है तो उनमे असफल हो जाते है।
१-मनुष्य का पहला गुण किसे कहा गया है?
२- कार्य में सफलता पाने के लिए किन दो प्रमुख गुणों की आवश्यकता होती है ?
३-व्यक्ति का भाग्य कब प्रभावहीन हो जाता है?
४- साहस को मनुष्य के व्यक्तित्व का नायक क्यों कहा है ?
५. व्यक्ति की सफलता के लिए आत्मविश्वास कितना आवश्यक है?
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1. मनुष्य का सबसे प्रथम गुण है साहस।
2. किसी भी कार्य की सफलता के लिए ध्येय के प्रति उत्कृष्ट लगन कार्य में अटूट श्रद्धा एवं अपनी शक्तियों में पर्याप्त विश्वास आवश्यक है।
3. यदि तन और वाणी सशक्त हो तो उनके द्वारा प्राप्त कार्य शक्ति के आगे भाग्य स्वयं नतमस्तक हो जाता है।
4. साहस मनुष्य के व्यक्तित्व का नायक है। साहस व्यक्ति को निर्भय बनाता है और जहा निर्भयता होती है वहा सफलता निश्चित है।
5. विश्वास एकाग्रता लगन संतुलन श्रद्धा आदि साहस के ऊपर निर्भर करती है क्योकि मनुष्य का सबसे प्रथम गुण है साहस ।
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