दिए गए काव्यांशों के आधार पर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए।
कौन कह रहा बनजारों-सा यह जीवन बेकार है,
मैं सबका हूँ, सब मेरे हैं, सबसे मुझको प्यार है।
चाँद और तारों की छत है
दिशा-दिशा दीवार है,
सारी धरती मेरा आँगन
पूरब-पश्चिम द्वार हैं,
बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी है, बहुत बड़ा परिवार है,
सबके हित मधुकरी हमारी, सबके लिए सितार है।
जंगल, नदियाँ, पर्वत, झरने
मुझको रहे पुकार हैं,
कुंज-कुंज बैठी खामोशी
मुझको रही निहार है,
इन लंबी सूनी सड़कों से ही मेरा व्यवहार है,
प्रश्न
दिशा-दिशा में मेरी ही पगध्वनि का बंदनवार है।
(1) कवि के अनुसार कब यह जीवन बेकार नहीं लगता?
(ii) ऐसे मनुष्य का घर किस प्रकार का होता है?
(iii) मधुकरी से क्या तात्पर्य है?
(iv) कवि को कौन-कौन पुकार रहे हैं?
(7) कवि के जीवन का व्यापार क्या है?
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Pta nhi Isme kya Rude hae , Ans. send nhi ho rhi thi .
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- कवि के अनुसार ,जब हम यह सोचे कि मैं सबका हूं, सब मेरे हैं और सबसे मुझको प्यार है तब यह जीवन बेकार नहीं लगता।
- ऐसे मनुष्य का घर चांद तारों का छत ,दिशाओं का दीवार और सारी धरती आंगन तथा पूरब पश्चिम द्वार होता है।
- मधुकरी का तात्पर्य भ्रमरी (भौरे का स्त्रीलिंग )से है जो सबके लिए शहद इकट्ठा करती हैं।
- कवि को जंगल, नदियां, पर्वत और झरने पुकार रहे हैं।
- कवि के जीवन का व्यापार लंबी सूनी सड़कों से है।
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- Hope! it will help you
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