दिए गए काव्याश को पढ़कर प्रश्रा क उर चिलचिलाती धूप को जो चाँदनी देवें बना । काम पड़ने पर करें जो शेर का भी सामना।। जो कि हँस-हँस के चबा लेते हैं लोहे का चना । है कठिन कुछ भी नहीं जिनके है जी में यह ठना ।। कोस कितने ही चलें पर वे कभी थकते नहीं। कौन सी है गाँठ जिसको खोल वे सकते नहीं ।। (1 Mark क) इस काव्यांश का उचित शीर्षक दीजिए | शेर का सामना करने का क्या तात्पर्य है ? इस काव्यांश में किसका वर्णन किया गया है ? (1 Mark ख) (1 Mark ग) (2 Marl घ) इस काव्यांश का सार कुछ पंक्तियों में लिखें ।
Answers
Answered by
0
Answer:
1:sher ka samna krne ka tatparya h ki hme mushkilo se bhagna Nhi h usse samna krna h
Similar questions