*दिए गए प्रस्थान-बिंदुओं के आधार पर लगभग 100 से 120 शब्दों में लघुकथा लेखन करें, अंत में उससे प्राप्त होने वाली शिक्षा को लिखें और उसका एक उचित शीर्षक भी दें।*
अमन 10 साल का एक छोटा लड़का था। उसे एक बुरी आदत थी। वह बात-बात पर झूठ बोलता था। मोहन की माँ उसकी इस बुरी आदत से बहुत परेशान रहती थी। उन्होंने अमन को कई बार समझाने की कोशिश की, पर अमन कहता- "माँ! पर मैं तो कभी कभी झूठ बोलता हूँ, इससे क्या होगा?" माँ ने उसे सुधारने का एक उपाय सोचा........ *(आगे की कहानी आप पूरी करें)*
Answers
पानी भी पी जाऊँगा।
फिर वह उनसे बोला, “दोस्तो, मैं अत्यधिक बीमार हूँ और चलने-फिरने में असमर्थ हूँ। क्या तुम में से कोई मुझे पीने के लिए थोड़ा पानी दे सकता है।” उसे देखकर भेड़ें सतर्क हो गई। तब उनमें से एक भेड़ बोली,“क्या तुम हमें बेवकूफ समझते हो? हम तुम्हारे पास तुम्हारा भोजन बनने के लिए हरगिज नहीं आएँगे।” इतना कहकर भेड़ें वहाँ से भाग गई। इस प्रकार भेड़ों की सतर्कता के कारण भेड़िए की योजना असफल हो गई और बेचारा भेड़िया बस हाथ मलता ही रह गया।
शिक्षा - बुद्धि सबसे बड़ा धन है।
3.
संकेत -
(आलसी लड़का, पैसों से भरा एक थैला, बिना प्रयास के ही इतने सारे पैसे, व्यर्थ खर्च, कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं, कद्र और उपयोगिता)
मेहनत की कमाई
सोनू एक आलसी लड़का था। वह अपना समय यूँ ही आवारागदी करने में व्यतीत करता था। इस कारण वह हमेशा कार्य करने से जी चुराता था। एक दिन उसे पैसों से भरा एक थैला मिला।
वह अपने भाग्य पर बहुत खुश हुआ। वह यह सोच-सोचकर खुश हो रहा था कि उसे मिल गए। सोनू ने कुछ पैसों से मिठाई खरीदी, कुछ पैसों से कपड़े व अन्य सामान खरीदा।
इस प्रकार उसने पैसों को व्यर्थ खर्च करना प्रारंभ कर दिया। तब उसकी माँ बोली, “बेटा, पैसा यूँ बर्बाद न करो। इस पैसे का उपयोग किसी व्यवसाय को शुरू करने में करो।” सोनू बोला, “माँ मेरे पास बहुत पैसा है।
इसलिए मुझे कार्य करने की कोई आवश्यकता ही नहीं है।” धीरे-धीरे सोनू ने सारा पैसा खर्च कर दिया अब उसके पास एक फूटी कौड़ी भी नहीं थी। इस तरह वह एक बार फिर अपनी उसी स्थिति में आ गया। सोनू को एहसास हुआ कि यदि उसने वह धन परिश्रम से कमाया हुआ होता तो उसने अवश्य उसकी कद्र और उपयोगिता समझी होती।
शिक्षा - धन की उपयोगिता तभी समझ आती है जब वह मेहनत से कमाया हुआ हो।
4.
संकेत - (आश्रम, नटखट शिष्य, दीवार फाँदना, उसके गुरुजी यह बात जानते थे, दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी, नीचे उतरने में मदद, गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचन, गलती के लिए क्षमा)
सबक
एक समय की बात है। एक आश्रम में रवि नाम का एक शिष्य रहता था। वद बहुत अधिक नटखट था। वह प्रत्येक रात आश्रम की दीवार फाँदकर बाहर जाता था परन्तु उसके बाहर जाने की बात कोई नहीं जानता था।
सुबह होने से पहले लौट आया। वह सोचता था कि उसके आश्रम से घूमने की बात कोई नहीं जानता लेकिन उसके गुरुजी यह बात जानते थे। वे रवि को रंगे हाथ पकड़ना चाहते थे। एक रात हमेशा की तरह रवि सीढ़ी पर चढ़ा और दीवार फॉदकर बाहर कूद गया।
उसके जाते ही गुरुजी जाग गए। तब उन्हें दीवार पर सीढ़ी लगी दिखाई दी। कुछ घंटे बाद रवि लौट आया और अंधेरे में दीवार पर चढ़ने की कोशिश करने लगा। उस वक्त उसके गुरुजी सीढ़ी के पास ही खड़े थे। उन्होंने रवि की नीचे उतरने में मदद की और बोले, “बेटा, रात में जब तुम बाहर जाते हो तो तुम्हें अपने साथ एक गर्म साल अवश्य रखनी चाहिए।
गुरुजी के प्रेमपूर्ण वचनों का रवि पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा। उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने अपनी गलती के लिए क्षमा माँगी। साथ ही उसने गुरु को ऐसी गलती दोबारा न करने का वचन भी दिया।
शिक्षा - प्रेमपूर्ण वचनों का सबक जिंदगी भर याद रहता है।
5.
संकेत - (पालतु चिड़िय, ताजा पानी और दाना, चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची, स्वास्थ्य परीक्षण, बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं, दुश्मन बिल्ली, मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई)
चालाक चिड़िया
एक व्यक्ति ने अपने पालतु चिड़ियों के लिए एक बड़ा-सा पिंजरा बनाया उस पिंजरे के अंदर चिड़िया आराम से रह सकती थीं। वह व्यक्ति प्रतिदिन उन चिड़ियों को ताजा पानी और दाना देता।
एक दिन उस व्यक्ति की अनुपस्थिति में एक चालाक बिल्ली डॉक्टर का वेश धारण कर वहाँ पहुँची और बोली, “मेरे प्यारे दोस्तो पिंजरे का दरवाजा खोलो। मैं एक डॉक्टर हूँ और तुम सब के स्वास्थ्य परीक्षण के लिए यहाँ आई हूँ।”
समझदार चिड़ियाएँ बिल्ली की चाल को तुरंत समझ गईं। वे उससे बोली, “तुम हमारी दुश्मन बिल्ली हो। हम तुम्हारे लिए दरवाजा हरगिज नहीं खोलेंगे। यहाँ से चली जाओ।” तब बिल्ली बोली,“नहीं, नहीं। मैं तो एक डॉक्टर हूँ। तुम मुझे गलत समझ रहे हो। मैं तुम्हें कोई हानि नहीं पहुँचाऊँगी। कृपया दरवाजा खोल दो।” लेकिन चिड़िया उसकी बातों में नहीं आई। उन्होंने उससे स्पष्ट रूप से मना कर दिया। आखिरकार मायूस होकर बिल्ली वहाँ से चली गई।
शिक्षा - समझदारी किसी भी मुसीबत को टाल सकती है।
Lakshay soni
9th
Answer:
एक बार एक बुढ़ा किसान था। उसके चार पुत्र थे ! वे सदा एक दूसरे से झगडते रहते हैं। किसान बड़ा दुखी था। उससे उन्हें झगूड़ा न करने की शिक्षा दी, परन्तु वे नहीं माने। एक दिन किसान बीमार हो गया। उसक अंतनिकट था। उसे एक युक्ति सूझी। उसने अपने पुत्रों को बुलाया। उससे उन्हें लकडियों का एक गट्ठा दिया। उसने उन्हें गड़े को तोड़ने के लिए कहा। परंतु वे इसे न तोड़ सके। अब गट्टे को खोल दिया गया। किसान ने अपने पुत्रों को कहा कि वे लकड़ियों को एक एक करके तोड़े। प्रत्येक पुत्र ने लकडियों वको आसानी से तोड़ दिया। इस पर पिता ने कहा, लकड़ी के गट्टे की भांति इकटे रहो । यदि तुम इकट्टे रहोगे तो तुम्हें कोई हानि नही पहुँचा सकता। पुत्रों ने इससे शिक्षा प्राप्त की। वे फिर कभी नहीं झगडे.