दिए गए संकेत-बिंदुओं के आधार पर लगभग ८०-१०० शब्दों में अनुच्छेद लिखिए.......
पर्यटन के लाभ
०पर्यटन का अर्थ०पर्यटन से लाभ०जीवन की वास्तविकत के दर्शन०संटटों से आमना-सामना०धैर्य का विकास ०विभिन्न जानकारियाँ मिलना०स्वास्थ्य के लिए लाभदायक।
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Answers
सैर कर दुनिया की गाफ़िल, ज़िंदगानी फिर कहाँ ?
जिंदगानी गर रही तो नौजवानी फिर कहाँ ?
जीवन का असली आनंद घुमक्कड़ी में है ; मस्ती और मौज में है | प्रकृति के सौंदर्य का रसपान अपनी आँखों से उसके सामने उसकी गोद में बैठकर ही किया जा सकता है | उसके लिए आवश्यक है – पर्यटन |
पर्यटन के लाभ – पर्यटन का अर्थ है – घूमना | बस घुमने के लिए घूमना | आनंद-प्राप्ति और जिज्ञासा-पूर्ति के लिए घूमना | ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है | ऐसा पर्यटन दैनंदिन जीवन की भारी-भरकम चिंताओं से दूर होता है | जो व्यक्ति इस दशा में जितनी देर रहता है, उतनी देर तक वह आनंदमय जीवा जीता है |
पर्यटन का दूसरा लाभ है – देश विदेश की जानकारी | इससे हमारा ज्ञान समृद्ध होता है | पुस्तकीय ज्ञान उतना प्रभावी नहीं होता जितना कि प्रत्यक्ष ज्ञान | पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहान-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है | इससे हमारे मन में बैठ हुए कुछ अंधविश्वाश टूटते हैं | हमें यह विश्वास होता है – विश्व – भर का मानव मूल रूप से एक है | हमारी आपसी दूरियाँ कम होती हैं | मन उदार बनता है | पूरा देश और विश्व अपना-सा प्रतीत होता है | राष्ट्रिय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है |
पर्यटन : एक उद्दोग – वर्तमान समय में पर्यटन एक उद्दोग का रूप धारण कर चूका है | हिमाचल प्रदेश, जम्मू कश्मीर आदि पर्वतीय स्थलों की अर्थ-व्यवस्था पर्यटन पर आधारित है | वहाँ वर्षभर विश्व-भर से पर्यटक आते हैं और अपनी कमाई खर्च करते हैं | इससे ये पर्यटक-स्थल फलते-फूलते हैं | वहाँ के लोगों को आजीविका का साधन मिलता है |
पर्यटन के प्रकार – पर्यटन-स्थल अनेक प्रकार के हैं | कुछ प्रकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं | जैसे-प्रसिद्ध पर्वत-चोटियाँ, समुद्र-तल, वन-उपवन | कुछ पर्यटन-स्थल धर्मित महत्व के हैं | जैसे हरिद्वार, वैष्णो देवी, काबा, कर्बला आदि | कुछ पर्यटन-स्थल एतेहासिक महत्व के हैं | जैसे लाल किला, ताजमहल आदि | कुछ पर्यटन-स्थल वज्ञानिक, सांस्कृतिक या अन्य महत्व रखते हैं | इनमें से प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक महत्व के पर्यटन-स्थलों पर सर्वाधिक भीड़ रहती है |
पर्यटन यानि घूमना, बस घूमने के लिए घूमना, आनंद प्राप्ति के लिए घूमना, जिज्ञासा समाधान के लिए घूमना। ऐसे पर्यटन में सुख ही सुख है। ऐसा पर्यटन रोजाना की थका देने वाली चिंताओं को दूर करता है। पर्यटन से हमें देश-विदेश के खान-पान, रहन-सहन तथा सभ्यता-संस्कृति की जानकारी मिलती है। पर्यटन से हमारे मन के अंधविश्वास टूटते हैं, पूर्व धारणाएं समाप्त होती हैं। हमें यह विश्वास होता है कि -" विश्व भर में रहने वाले हम सभी मनुष्य मूल रूप से एक ही हैं। " राष्ट्रीय एकता बढ़ाने में पर्यटन का बहुत बड़ा योगदान है। वर्तमान समय में पर्यटन एक बहुत बड़े उद्योग का रूप धारण कर चुका है। हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर एवं उत्तराखंड जैसे पर्वतीय स्थलों की अर्थव्यवस्था पर्यटन पर ही आधारित है। आज पर्यटन सुविधापूर्ण हो गया है। प्रायः सभी प्रसिद्ध स्थलों पर होटलों, भोजनालयों, विश्राम गृहों, मनोरंजन स्थलों एवं यातायात के साधनों की भरमार हो गयी है। कुछ पर्यटन स्थल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए विख्यात हैं तो कुछ का एक अलग ही धार्मिक महत्त्व है। कुछ पर्यटन स्थान ऐतिहासिक महत्त्व है। कुछ पर्यटन स्थल वैज्ञानिक, सांस्कृतिक अन्य महत्त्व रखते हैं। इनमें से प्राकृतिक सौंदर्य तथा धार्मिक महत्त्व के पर्यटन स्थलों पर सर्वाधिक भीड़ रहती हैं।
भ्रमण का शैक्षिक महत्व:
भ्रमण द्वारा इतने अधिक शैक्षिक लाभ होते हैं वि सभी का आसानी से वर्णन नहीं किया जा सकता । अंग्रेजी के प्रसिद्ध लेखक बेकन को कहना है कि युवा वर्ग के लिए भ्रमण शिक्षा का अंग है, जबकि बड़े लोगों को इससे अनुभव मिलता है ।
भ्रमण से जो हम सीखते हैं, उसे पुस्तकों से सीखना कठिन होता है । क्योंकि सीखने में आँख की भूमिका अन्य ज्ञानेन्द्रियों की तुलना में सबसे अधिक होती है । उदाहरण के लिए, हम पुस्तकों में पढ़ते हैं कि प्राचीन काल में नालन्दा नाम का एक विश्वविद्यालय था ।
इसमें कम-से-कम 100 लेक्चर रूम थे । पककर ऐसा लगता है कि यह कल्पना की उड़ान है अथवा किसी दिवारचब्जी अनुसंधानकर्ता की मनगढ़त घटना है । जब हम खुदाई में मिले भग्नावशेषो को देखकर परीक्षा करते हैं, तो हमारे सभी शक स्वत: दूर हो जाते हैं और किताबों में पढ़ा ज्ञान प्रमाणित हो जाता है ।
ज्ञान में वृद्धि:
भ्रमण हमारे किताबी ज्ञान में वृद्धि करता है । भ्रमण के सहारे इतिहास हमे वास्तविक दिखता है तथा समूचा भूगोल साकार हो उठता है । इससे अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों की परीक्षा हो जाती है और नई चुनौतियां उभर आती हैं । समाजशास्त्र की नींव मजबूत हो जाती है । ऐतिहासिक महत्त्व के स्थानों के भ्रमण से पुस्तकों में पढ़ी धुँधली छवि प्रकाशित होकर साकार हो जाती है ।
संसार के व्यावहारिक ज्ञान की प्राप्ति:
भ्रमण संसार के व्यावहारिक ज्ञान को प्राप्त करने का सुनहरा अवसर प्रदान करता है । प्रसिद्ध कवि पोप ने ठीक ही कहा है कि मानवता का सही अध्ययन मनुष्यों के अध्ययन से ही हो सकता है । भ्रमण के दौरान तरह-तरह के व्यक्तियों से हमारा संपर्क होता है ।
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