Hindi, asked by gauravgiri7303, 4 months ago

दिए गए संकेत बिंदुओं के आधार पर निबंध लिखिए
1) विद्यार्थी और अनुशासन
भूमिका अनुशासन का अर्थ और महत्व
विद्यार्थी जीवन में अनुशासन का
महत्व
अनुशासन की प्रथम पाठशाला परिवार
व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन के लिए अनुशासन
उपसंहार​

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Answered by abhiavhinav
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Answer:

सभी के जीवन में अनुशासन का बहुत ही महत्व रहता है। अनुशासन का पालन किए बिना हम कभी भी एक सफल व्यक्ति नहीं बन सकते। और जब बात आती है विद्यार्थी जीवन की, तो अनुशासन का महत्व और भी कई गुना बढ़ जाता है।

अगर कोई विद्यार्थी समय का सदुपयोग कर खुद को अनुशासित रखता है, तो वह अवश्य ही सफलता की सीढ़ी को चढ़ता है। अनुशासित रहकर विद्यार्थी नियमों का पालन करना भी सीखते हैं। अनुशासन का पालन करके ही आगे चलकर एक बच्चा आदर्श नागरिक बनता है।

आदर्श नागरिक बनने के बाद ही वह समाज के लिए एक अच्छा उदाहरण बन सकता है। इतना ही नहीं आदर्श नागरिक बनकर वह अपने देश को भी कई प्रकार से लाभ पहुंचाता है। इसलिए बहुत जरूरी है कि हम अनुशासन के महत्व को समझें और इसे अपने जीवन में लागू करें। बिना अनुशासन से हमारे जीवन का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

स्वयं को अनुशासित रखना बेहतरीन कलाओं में से एक है। अगर विद्यार्थी अपने जीवन में अनुशासन अपना लें तो वह अवश्य ही अपनी पढ़ाई को अच्छी तरह से पूरा कर पाएंगे और अच्छी तरह से शिक्षा ग्रहण कर पाएंगे।

बिना अनुशासन के कोई भी विद्यार्थी अच्छे अंको से पास नहीं हो सकता है। उसे हमेशा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसलिए बहुत जरूरी होता है कि एक विद्यार्थी खुद को अनुशासित करके रखें।

अनुशासन का अर्थ

अनुशासन शब्द के अर्थ का अनुमान हम इसे लिखे जाने के तरीके से ही लगा सकते हैं। यह शब्द दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है, अनु + शासन। अनु का अर्थ होता हैं – पालन और शासन का अर्थ होता हैं – नियम। जिसका अर्थ होता हैं नियमों का पालन करना।

आसान शब्दों में कहें तो, अनुशासन का दूसरा अर्थ होता हैं, जो व्यक्ति अपने जीवन में नियमों का पालन करके अपना जीवन बिताता हैं उसे ‘अनुशासन’ कहा जाता हैं।

जीवन में अनुशासन का महत्व

जीवन में अनुशासन का महत्व उतना ही महत्वपूर्ण है, जिस प्रकार से चाय में चीनी का होना जरूरी होता है। बिना अनुशासन के मनुष्य पशु के समान हो जाता है। अनुशासन मनुष्य के जीवन का अभिन्न अंग है।

अनुशासन ही वह महत्वपूर्ण चारित्रिक विशेषता है, जो मनुष्य को पशुओं से अलग करती है। क्योंकि अनुशासन के बिना मनुष्य बिल्कुल जानवर की तरह हो जाता है। किसी भी कार्य को पूरा करने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी रहता है कि हम अनुशासित रहकर उस काम के प्रति ध्यान लगाकर वह काम करें।

अगर हम बिना अनुशासन के उस काम को पूरा करने की कोशिश करेंगे, तो हम कभी भी वह कार्य पूरा नहीं कर पाएंगे। इसलिए हमें हमेशा यह कोशिश करनी चाहिए कि हम अनुशासन में रहें, क्योकि अनुशासन में रहकर ही हमें सफलता की प्राप्ति हो सकती है।

अगर हम अनुशासन में ना रहकर किसी काम को पूरा कर रहे हैं, तो हमें समझ लेना चाहिए कि हम अपनी असफलता की तैयारी कर रहे हैं।

अनुशासन और देश का विकास

किसी भी व्यक्ति के जीवन की शुरुआत सबसे पहले विद्यार्थी बनकर होती है। हम बचपन से ही 3 साल की उम्र में स्कूल जाना शुरू कर देते हैं और यही बच्चे आगे चलकर देश के नागरिक बनते हैं। तो जो कुछ भी हम इन बच्चों को सिखाते हैं और पढ़ाते हैं वह हमारे देश के भविष्य में योगदान देता है।

इसलिए बहुत जरूरी होता है कि हम विद्यार्थियों को अनुशासन का महत्व अच्छी तरह से सिखाएं। जिससे कि वह आगे चलकर देश के आदर्श नागरिक बने। अनुशासित व्यक्ति सही पद पर पहुंचकर उसका सही उपयोग करते हैं। अनुशासित व्यक्ति कभी भी समय का दुरुपयोग नहीं करते।

उन्हें जो भी कार्य दिया जाए वह समय पर पूरा करने की कोशिश करते हैं। वह अपने अनुशासन की कला का इस्तेमाल करके समाज और देश को लाभ पहुंचाते हैं। वास्तव में जो व्यक्ति अनुशासन में रहता है, वहीं देश के विकास में योगदान कर सकता है।

वह व्यक्ति जिसे अनुशासन का महत्व ही ना मालूम हो वह देश के लिए ज्यादा कारगर साबित नहीं होता। यह कहना गलत नहीं होगा कि वास्तव में एक अनुशासन शील व्यक्ति ही देश को प्रगति की ओर अग्रसर करता है। अनुशासन युक्त विद्यार्थी जीवन में देश को आगे बढ़ाता है।

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन

अनुशासन के बिना विद्यार्थी जीवन की कल्पना करना काफी कठिन है। विद्यालय जाने का महत्वपूर्ण कारण यही होता है कि एक बच्चे के अंदर अनुशासन का पालन करने की इच्छा उत्पन्न की जाए। अनुशासन में रहे विद्यार्थी ही अच्छा प्रदर्शन कर पाते हैं। ऐसे विद्यार्थी हर शिक्षक की नजर में रहते हैं और हर वक्त प्रशंसा पाते हैं।

अगर किसी विद्यार्थी या बच्चे को अनुशासन के बारे में सिखाया जाए, तो उसे अपने जीवन की समस्याओं को हल करने में ज्यादा परेशानी नहीं होगी। वहीं दूसरी और जो विद्यार्थी बिना अनुशासन के चलते हैं उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

जो विद्यार्थी अनुशासन हीन होता है उसे कोई पसंद नहीं करता। अनुशासन हीन व्यक्ति जीवन में ईर्ष्या, अहिंसा, असत्य, बड़ों से झूठ बोलना, बड़ों का आदर ना करना, अपने गुरु का आदर ना करना, गलत संगत में फसना आदि से ग्रसित हो जाता हैं।

इस प्रकार से अनुशासन हीन विद्यार्थी अपने जीवन को बर्बादी की राह पर ले जाते हैं। अनुशासन हीन व्यक्ति बुरे गुणों के आदी हो जाते हैं।

निष्कर्ष

विद्यार्थी जीवन में अनुशासन के महत्व को नकारा नहीं जा सकता। सभी अध्यापकों को अपने शिष्य को अनुशासन का महत्व जरूर सिखाना चाहिए। क्योंकि अगर एक बार किसी विद्यार्थी को अनुशासन में रहने की कला आ जाती है, तो उसका जीवन आसान हो जाता है और वह किसी भी कार्य को सफलतापूर्वक कर लेता है।

इतना ही नहीं बल्कि घर पर माता-पिता को भी यह ध्यान देना चाहिए कि उनका बच्चा अनुशासन सीखें। उन्हें अपने बच्चे को अनुशासन युक्त व्यक्ति बनाने की कोशिश करनी चाहिए। उन्हें अच्छे अच्छे गुण और अनुशासन का महत्व बताना चाहिए।

अगर बच्चा अनुशासन में रहेगा तो ही एक सफल जीवन की ओर अग्रसर होगा और बुरी संगति से हमेशा बचकर रहेगा। वास्तव में अनुशासन ही विद्यार्थियों के जीवन में सबसे ज्यादा अहम भूमिका निभाता है।

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