दिए गए शब्दों पर कविता लिखिए
चिड़िया,नदी,पिंजरा, पंख, झरना
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Answers
उत्तर-: चिड़िया
मीठी-मीठी, प्यारी-प्यारी, लोरी रोज सुनाए चिड़िया,
दूर देश अनजानी नगरी, की भी सैर कराए चिड़िया।
खेतों-खलिहानों में जाकर, दाने चुगकर लाए चिड़िया,
बैठ घोंसले में चूं-चूं कर, खाए और खिलाए चिड़िया।अपने मधुमय कलरव से, प्राणों में अमृत घोले चिड़िया,
अपनी धुन में इस डाली से, उस डाली पर डोले चिड़िया।
अपनी इस अनमोल अदा से, सबका दिल बहलाए चिड़िया,
दूर देश अनजानी नगरी, की भी सैर कराए चिड़िया।नन्ही-नन्ही आंखों से, आंखों की भाषा बोले चिड़िया,
आहिस्ता-आहिस्ता सबके मन के भाव टटोले चिड़िया।
तिनका-तिनका चुन-चुनकर, सपनों का नीड़ सजाए चिड़िया,
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराए चिड़िया।
जीवन की हर कठिनाई को सहज भाव से झेले चिड़िया,
हर आंगन में उछले-कूदे, हर आंगन में खेले चिड़िया।
आपस में मिल-जुलकर रहना, हम सबको सिखलाए चिड़िया,
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराए चिड़िया।
जाति-पाति और ऊंच-नीच का, भेद न मन में लाए चिड़िया,
सारे काम करे निष्ठा से, अपना धर्म निभाए चिड़िया।
उम्मीदों के पर पसारकर, नील गगन में गाए चिड़िया,
दूर देश अनजानी नगरी की भी, सैर कराए चिड़िया |
उत्तर-: नदी
नदी को बोलने दो
शब्द स्वरों के खोलने दो
उसकी नीरव निस्तब्धता
एक खतरे का संकेत है
यह इस बात की पुष्टि है
कि नदी हुई समाप्त
शेष रह गई रेत हैबहती हुई नदी
जीवन का प्रमाण हैराष्ट्र का है गौरव
जीवंतता की पहचान है
यह उर्वरता और जीवनप्रदान करती है
खुद कष्ट सहकर
दूसरों का कष्ट हरती है
यह जीवनदायिनी है
इसे अपने दुष्कर्मों से
न भयभीत करो
यह नीर नहीं संचती है
इसे नाले में न तब्दील करो
तुम्हारे पाप को ढोते-ढोते
वह कुछ थक-सी गई है
ऐसा लग रहा है कि
वह कुछ सहम-सिमट-सी गई है।
Answer:
सोने के पिंजरे में बंद चिड़िया
सोचे बैठे-बैठे कितना सुंदर था चमन वो मेरा
जहां थे खुली हवा के झोंके, पहाड़ों से बहती ठंडी हवा में
मैं झूम झूम नाचती गाती , चहकती थी मिल सखियों संग
ठिठोली किया करती थी मैं,
फिर हो बिंदास, नभ के आंगन में
मैं लहराया करती थी
कभी जाती गौरेया के घर तो, कभी बुलाती थी अन्य सखियां
मन भर मस्ती करती फिर थक कर सो जाया करती थी
खुशियों के संग हंसते रमते, खुशी से जीवन गुजर रहा था
पर भाग्य ने खाया ऐसा पलटा,
न वो पहाड़ों का मंजर रहा
न वो मेरा प्यारा घर ही रहा
सिर्फ बदलती नहीं इंसानों की दुनिया
हम पंखी भी किस्मत के मारे हैं
क्यूंकि, जब पड़ती किसी शिकारी की नजर
या मारे जाते या पिंजरे में बंद किए जाते हैं
इक दिन इक राजा आया
ले गया वो बंदी बनाकर मुझे
कहा अनुचरों से लाओ सोने का पिंजरा
रखो उसमें इस प्यारी-सी चिड़िया को
सोने का सुंदर पिंजरा था पर, था तो आखिर पिंजरा ही
इस हालत पर कितना मेरा दिल था रोया
सोने का पिंजरा मेरे किस काम का? ऐसा सोचा था
मैं तो मस्त गगन में उड़ती तब
भोर सुनहरी शाम सुनहरी और सुनहरी सपने थे
वो खुला गगन ही मेरा सोना था
सोने के बर्तन में राजा देता उसको दाना पानी था
चिड़िया को पर न भाता था
सहमी-सहमी रहती हर पल, कुछ भी रास नहीं आता था
आजाद परिंदों का कलरव वह
दूर से सुनती रहती थी
तब-तब आजादी उसे अपनी याद आती थी
खारे आंसू से उसके तब नयन कटोरे भर आते थे
ऐसी ही दीन दशा में रहते गुजर गए पिंजरे में सालों
एक दिन राजा उठा सुबह को
सुनकर चिड़िया के पास कुछ पक्षियों का कलरव
देखा चिड़िया गिरी पड़ी थी उड़ गए थे प्राण पखेरू उसके
कहते थे मानो राजा से, हर पक्षी को आजादी देना
किसी को तुम यह सजा न देना,
चाहे कैसा भी पिंजरा हो, है तो आखिर पिंजरा ही
पिंजरे का जीवन सजा है भारी
क्योंकि हर पिंजरा इक बंदीगृह है
Explanation:
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