Hindi, asked by tanusalame056, 3 months ago

दिए गए विकल्पों में से उचित विराम चिन्ह चुनकर लिखें
मुझे बहुत कुछ करना है। क्या तुम मेरी मदद करोगें। (?​

Answers

Answered by rohit293085
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हिंदी जाता है।

जैसे —

यह घड़ी ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगी; यह बहुत सस्ती है।

राम तो अच्छा लड़का है; किन्तु उसकी संगत कुछ ठीक नहीं है।

कल रविवार है; छुट्टी का दिन है; आराम मिलेगा।

अल्प विराम (,)

जब किसी वाक्य को प्रभावी रूप से कहने के लिए वाक्य में अर्द्ध विराम (;) से ज्यादा परन्तु पूर्ण विराम (।) से कम विराम लेना हो तो वहां अल्प विराम (,) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। जहाँ थोड़ी सी देर रुकना पड़े, वहाँ अल्प विराम चिन्ह (Alp Viram) का प्रयोग करते हैं ।

जैसे —

सुनील, जरा इधर आना।

राम, सीता और लक्ष्मण जंगल गए ।

अल्प विराम का प्रयोग निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जाता है-

जहाँ किसी व्यक्ति को संबोधित किया जाय, वहाँ अल्पविराम का चिह्न लगता है। जैसे- प्रिय महराज, मैं आपका आभारी हूँ।

अंको को लिखते समय भी अल्पविराम का प्रयोग किया जाता है। जैसे- — 1, 2, 3, 4, 5, 6 आदि।

‘हाँ’ और ‘नहीं’ के बाद — नहीं, यह काम नहीं हो पाएगा।

जहाँ शब्दों को दो या तीन बार दुहराया जाय, वहाँ अल्पविराम का प्रयोग होता है। जैसे- वह दूर से, बहुत दूर से आ रहा है।

तारीख और महीने का नाम लिखने के बाद — 2 अक्टूबर, सन् 1869 ई० को गाँधीजी का जन्म हुआ।

प्रश्न चिन्ह (?)

प्रश्न चिन्ह (?) का प्रयोग प्रश्नवाचक वाक्यों के अंत में किया जाता है । अर्थात जिस वाक्य में किसी प्रश्न (सवाल) के पूछे जाने के भाव की अनुभूति हो वहां वाक्य के अंत में प्रश्न चिन्ह (?) का प्रयोग होता है।

यानी जहाँ बातचीत के दौरान जब किसी से कोई बात पूछी जाती है अथवा कोई प्रश्न पूछा जाता है, तब वाक्य के अंत में प्रश्नसूचक-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे —

ताजमहल किसने बनवाया ?

तुम कहाँ जा रहे हो ?

यह तो तुम्हारा घर नहीं है ?

उप विराम (अपूर्ण विराम) (:)

जब किसी शब्द को अलग दर्शना हो तो वहां उप विराम (अपूर्ण विराम) (:) का प्रयोग किया जाता है।अर्थात जहाँ वाक्य पूरा नहीं होता, बल्कि किसी वस्तु अथवा विषय के बारे में बताया जाता है, वहाँ अपूर्ण विराम-चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

यानी जब किसी कथन को अलग दिखाना हो तो वहाँ पर उप विराम (Up Viram) का प्रयोग करते हैं ।

जैसे —

प्रदूषण : एक अभिशाप ।

उदाहरण : राम घर जाता है।

कृष्ण के अनेक नाम है : मोहन, गोपाल, गिरिधर आदि।

विस्मयबोधक चिन्ह (!) या आश्चर्य चिन्ह

विस्मयबोधक चिन्ह का प्रयोग हर्ष, विवाद, विस्मय, घृणा, आश्रर्य, करुणा, भय इत्यादि का बोध कराने के लिए इस चिह्न का प्रयोग किया जाता है।

जैसे —

वाह! क्या आलिशान घर है।

रे! तुम यहां।

ओह! यह तो उसके साथ बुरा हुआ।

छी! कितनी गंदगी है यहाँ।

अच्छा! ऐसा कहा उस पाखण्डी व्यक्ति ने तुमसे।

शाबाश! मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।

हे भगवान! ये क्या अनर्थ कर दिया तुमने?

निर्देशक चिन्ह (डैश) (-) या संयोजक चिन्ह या सामासिक चिन्ह

निर्देशक चिन्ह (-) जिसे संयोजक चिन्ह या सामासिक चिन्ह भी कहा जाता है, कुछ इसे रेखा चिन्ह भी कहते हैं। विषय, विवाद, सम्बन्धी, प्रत्येक शीर्षक के आगे, उदाहरण के पश्चात, कथोपकथन के नाम के आगे किया जाता है

किसी के द्वारा कही बात को दर्शाने के लिए

जैसे —

तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा – सुभाष चन्द्र बोस

अध्यापक ― तुम जा सकते हो ।

किसी शब्द की पुनरावत्ति होने पर अर्थात एक ही शब्द के दो बार लिखे जाने पर उनके मध्य (बीच में) संयोजक चिन्ह (-) का प्रयोग होता है।

दो-दो हाथ हो जायें।

कभी-कभी में ख्यालों में खो सा जाता हूँ।

युग्म शब्दों के मध्य

जैसे —

खेल में तो हार-जीत होती रहती है।

कुछ खाया-पिया करो, बहुत कमजोर हो गए हो।

तुलनावाचक ‘सा’, ‘सी’, ‘से’, के पहले

जैसे —

झील-सी आँखें

सागर-सा ह्रदय

कोष्ठक ( ) [ ] { }

कोष्ठक चिन्ह (Koshthak Chinh) का प्रयोग अर्थ को और अधिक स्पस्ट करने के लिए शब्द अथवा वाक्यांश को कोष्ठक के अन्दर लिखकर किया जाता है ।

कोष्ठक का प्रयोग किसी शब्द को स्पष्ट करने, कुछ अधिक जानकारी बताने आदि के लिए कोष्ठक ( ) चिन्ह का प्रयोग किया जाता है। कोष्ठक का उपयोग मुख्यतः वाक्यों में शब्दों के मध्य किया जाता है। ( ) को लघु कोष्ठक, { } मझला कोष्ठक तथा [ ] को दीर्घ कोष्ठक कहते हैं। हिंदी साहित्य लेखन में लघु कोष्ठक ( ) का ही प्रयोग किया जाता है। इनका उपयोग हमेशा जोड़ी में ही होता है।

जैसे —

धर्मराज (युधिष्ठिर) सत्य और धर्म के संरक्षक थे ।

लता मंगेशकर भारत की कोकिला (मीठा गाने वाली) हैं।

उच्चारण (बोलना) जीभ एवं कण्ठ से होता है।

अवतरण चिन्ह (‘ ’)(“ ”) या उध्दरण चिन्ह

किसी वाक्य में किसी खास शब्द पर जोर देने के लिए अवतरण या उद्धरण चिन्ह (‘ ’) का प्रयोग किया जाता है।

किसी और के द्वारा लिखे या कहे गए वाक्य या शब्दों को ज्यों-का-त्यों लिखने के लिए अवतरण चिह्न या उद्धरण चिन्ह (“ ”) का प्रयोग किया जाता है।

जैसे —

महा कवि तुलसीदास ने सत्य कहा है ― “पराधीन सपनेहु सुख नाहीं” ।

हिन्दुओं का एक प्रमुख काव्य ग्रंथ ‘महाभारत’ है।

भारतेंदु जी ने कहा, “हिंदी, हिन्दू, हिंदुस्तान” ।

विवरण चिन्ह (:-)

विवरण चिन्ह (:-) का प्रयोग वाक्यांश में जानकारी, सूचना या निर्देश आदि को दर्शाने या विवरण देने के लिए किया जाता है।

जैसे —

वनों से निम्न लाभ हैं :-

भारत में सेब की कई किस्में पायी जाती हैं जिनमें से कुछ निम्न हैं :-

इस देश में बड़ी – बड़ी नदियाँ हैं :-

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह („ „)

पुनरुक्ति सूचक चिन्ह („ „) का प्रयोग ऊपर लिखे किसी वाक्य या वाक्य के अंश को दोबारा लिखने का श्रम बचाने के लिए करते हैं।यानी पुनरुक्ति सूचक चिन्ह का प्रयोग किसी बात को दोहराने के लिए किया जाता है.

जैसे —

रामेश कुमार, कक्षा सातवीं

राजेश ,, ,, ,,

लाघव चिन्ह (०)

किसी

Answered by dahiyaarjun2010
0

Answer:

1=।

2=?

Kyunki Har sentence ke last Mein Ek Viram aata hai aur Har question ke bad Ek question mark aata hai

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