दिए गए विषयों में से अनुच्छेद लिखें-
1.जीवन में पेड़-पौधों का महत्त्व
2.राष्ट्रीय एकता
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Answer:
ऑक्सीजन प्रदान करने का कार्य और कोई नहीं कर सकता और पेड़ों के बिना पानी की कल्पना करना मुश्किल ही नहीं, नामुमकिन है। पेड़ वायु प्रदूषण कम करने में हमारी सहायता कर पर्यावरण को शुद्ध रखते हैं। ... हर उद्योग में पेड़ के उत्पाद का मुख्य योगदान रहता है। हमारे दैनिक जीवन में उपयोग होने वाली वस्तुओं में पेड़ों का बहुत महत्व है।Mar 26,
Explanation:
1.जीवन मे पेड़-पौधों का महत्व - पेड़ और पौधे पर्यावरण में मौजूद हवा को शुद्ध करते हैं प्रदूषण मुक्त करते हैं। प्रदूषण ने पर्यावरण को अति दूषित कर दिया है और हमारा जीवन दुर्भर हो रहा है। ... पेड़ पौधे ना केवल हवा को शुद्ध करते हैं बल्कि हमारे लिए खाने की भी वस्तुएं उप्लब्ध करवाते हैं।
वृक्षों में जीवधारियों के प्राण बसते हैं । यदि वृक्षों से होनेवाले लाभों के बारे में सोचा जाए तो यह कथन पूरी तरह सही लगता है । वृक्ष जीवसमुदाय को फल, फूल, पत्ती लकड़ी और अनेक प्रकार के उपयोगी द्रव्य प्रदान करते हैं । वे सुखद घनी छाया से पथिकों को आह्लादित कर देते हैं । पक्षी, वानर, गिलहरी आदि जीव वृक्षों पर शरण लेते हैं । वृक्ष धरती की हरियाली एवं शोभा बढ़ाते हैं । ये प्राणवायु छोड्कर सारे संसार का भला करते हैं । ये वर्षाकारक हैं । भूमि का क्षरण और बाढ़ रोकने में वृक्षों सा मददगार कोई नहीं । वृक्षों से रबड़, गोंद, लाख, दातुन, जड़ी–बूटी आदि उपयोगी पदार्थ प्राप्त होते हैं । वृक्ष समुदाय जंगली जीवों की शरणस्थली होते हैं । जंगली जीव भी पेड़-पौधों की रक्षा में अपना योगदान देते हैं । वृक्षों का मूल्य नहीं आँका जा सकता। अतएव वृक्षों का संरक्षण एवं संवर्धन बहुत आवश्यक हो जाता है । धरती पर जितने अधिक वृक्ष होंगे, इसकी सुंदरता और गुणवत्ता में उतनी ही वृद्धि होगी ।
राष्ट्रीय एकता - हमारा देश विश्व के मानचित्र पर एक विशाल देश के रूप में चित्रित है । प्राकृतिक रचना के आधार पर तो भारत के कई अलग-अलग रूप और भाग हैं । उत्तरी का पर्वतीय भाग गंगा-जमुना सहित अन्य नदियों का समतलीय भाग, दक्षिण का पठारी भाग और समुद्र तटीय मैदान । भारत का एक भाग दूसरे भाग से अलग-अलग पड़ा हुआ है । नदियों और पर्वतों के कारण वे भाग एक-दूसरे से मिल नहीं पाते हैं ।
इसी प्रकार से जलवायु की विभिन्नता और अलग-अलग क्षेत्रों के निवासियों के जीवन-आचरण के कारण भी देश का स्वरूप एक-दूसरे से विभिन्न और पृथक पड़ा हुआ दिखाई देता है । इन विभिन्नताओं के होते हुए भी भारत एक है ।
भारत वर्ष की निर्माण सीमा ऐतिहासिक है । वह इतिहास की दृष्टि से अभिन्न है । इस विषय में हम जानते हैं कि चन्द्रगुप्त, अशोक, विक्रमादित्य और उनके बाद मुगलों ने भी इस बात की यही कोशिश की थी कि किसी तरह सारा देश एक शासक के अधीन लाया जा सके ।
उन्हें इस कार्य में कुछ सफलता भी मिली थी । इस प्रकार भारत की एकता ऐतिहासिक दृष्टि से एक ही सिद्ध होती है । हमारे देश की एकता का एक बड़ा आधार दर्शन और साहित्य है । हमारे देश का दर्शन सभी प्रकार की भिन्नताओं और असमानताओं को समाप्त करने वाला है ।
यह दर्शन है-सर्वसमन्वय की भावना का पोषक । यह दर्शन किसी एक भाषा में नहीं लिखा गया है । अपितु यह देश की विभिन्न भाषाओं में लिखा गया है । इसी प्रकार से हमारे देश का साहित्य विभिन्न क्षेत्र के निवासियों के द्वारा लिखे जाने पर भी क्षेत्रवादिता या प्रांतीयता के भावों को नहीं उत्पन्न करता है, बल्कि सबके लिए भाई-चारे और सद्भाव की कथा सुनाता है ।
मेल-मिलाप का सन्देश देता हुआ देशभक्ति के भावों को जगाता है । विचारों की एकता जाति की सबसे बड़ी एकता होती है । अतएव भारतीय जनता की एकता के असली आधार भारतीय दर्शन और साहित्य है जो अनेक भाषाओं में लिखे जाने पर भी अन्त में जाकर एक ही साबित होते हैं । यह भी ध्यान देने की बात है कि फारसी लिपि को छोड़ दें, तो भारत की अन्य सभी लिपियों की वर्णमाला एक ही है ।
यद्यपि हमारे देश की भाषा एक ही नहीं अनेक हैं । यहाँ पर लगभग पन्द्रह भाषाएँ हैं । इन सभी भाषाओं की बोलियाँ अर्थात् उपभाषाएँ भी हैं । सभी भाषाओं को संविधान से मान्यता मिली है । इन सभी भाषाओं से रचा हुआ साहित्य हमारी राष्ट्रीय भावनाओं से ही प्रेरित है । इस प्रकार से भाषा-भेद की भी ऐसी कोई समस्या नहीं दिखाई देती है, जो हमारी राष्ट्रीय-एकता को खंडित कर सके ।
उत्तर भारत का निवासी दक्षिणी भारत के निवासी की भाषा को न समझने के बावजूद उसके प्रति कोई नफरत की भावना नहीं रखता है । रामायण, महाभारत आदि ग्रंथ हमारे देश की विभिन्न भाषाओं में तो हैं, लेकिन इनकी व्यक्त हुई भावना हमारी राष्ट्रीयता को ही प्रकाशित करती हैं ।
तुलसी, सूर, कबीर, मीरा, नानक, रैदास, तुकाराम, विद्यापति, रवीन्द्रनाथ टैगोर, तिरुवल्लुवर आदि की रचनाएँ एक दूसरे की भाषा से नहीं मिलती है । फिर भी इनकी भावात्मक एकता राष्ट्र के सांस्कृतिक मानस को ही पल्लवित करने में लगी हुई हैं ।
भारत की एकता की सबसे बड़ी बाधा ही ऊँचे-ऊँचे पर्वत, बड़ी-बड़ी नदियाँ देश का विशाल क्षेत्रफल आदि । जनता इन्हें पार करने में असफल हो जाती थी । इससे एक-दूसरे से सम्पर्क नहीं कर पाते थे । आज की वैज्ञानिक सुविधाओं के कारण अब वह बाधा समाप्त हो गई हैं ।
देश के सभी भाग एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं । इस प्रकार हमारी एकता बनी हुई है । हमारे देश की एकता का सबसे बड़ा आधार प्रशासन की एकसूत्रता है । हमारे देश का प्रशासन एक है । हमारा संविधान एक है और हम दिल्ली में बैठे-बैठे ही पूरे देश पर शासन एक समान करने में समर्थ हैं ।