॥ दिए गए विषयों में से किसी एक विषय पर 50-60 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए। (5)
जब हम पिकनिक पर गए
मेरा प्रिय खेल
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मेरा प्रिय खेल पर निबंध |
खेल कई प्रकार के होते हैं । कक्ष के भीतर खेले जाने वाले खैलों को इनडोर गेम्स कहा जाता है, जबकि मैदान पर खेले जाने वाले खेल आउटडोर गम्स कहलाते हैं । अलग-अलग प्रकार के खेल व्यायाम के महत्त्वपूर्ण अंग है । अत: अपनी रुचि एवं शारीरिक क्षमता के अनुकूल ही खेलों का चयन करना चाहिए । खेलकूद आज विभिन्न राष्ट्रों के मध्य सांस्कृतिक मेल-जोल बढ़ाने का एक उत्तम माध्यम बन गया है ।
मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है । आधुनिक युग मैं इस खेल को अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व प्राप्त है । भारत में यह खेल सर्वाधिक आकर्षण का केन्द्र बना हुआ है । इस खेल से लोगों को अद्भुत लगाव है । क्या बच्चे, क्या बूढ़े, क्या नवयुवक, सभी इसके दीवाने हैं ।
क्रिकेट का जन्म इंग्लैण्ड में हुआ था । इंग्लैण्ड से ही यह खेल रुलिया पहुँचा, फिर अन्य देशों में भी इसका प्रसार हुआ । यह खेल नियमानुसार सर्वप्रथम 1850 ई. में गिलफोर्ड नामक विद्यालय में खेला गया था । क्रिकेट का पहला टैस्ट मैच 1877 ई. में ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न शहर में खेला गया था । भारत ने अपना पहला टेस्ट मैच इंग्लैण्ड के विरुद्ध सन् 1932 में खेला था । टेस्ट मैच पाँच दिनों का होता है जो दो पारियों में खेला जाता है । टेस्ट मैच के अलावा यह खेल चार दिवसीय, तीन दिवसीय, एक दिवसीय भी होता है । आजकल एक दिवसीय क्रिकेट मैच तथा ट्वेंटी-20 मैच अधिक लोकप्रिय हो गया है । ट्वेंटी-20 मैच तीन-चार घंटे में ही समाप्त हो जाता है ।
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हम सभी दोस्तों ने दीपावली की इन छुट्टियों में पिकनिक पर जाने का कार्यक्रम बनाया। हम सब ने निश्चित किया कि इस बार हम पिकनिक के लिए किसी पहाड़ी स्थल पर जाएंगे। सबकी सहमति के बाद हमने निश्चय किया कि हम चंबा जाएंगे।
हम सुबह सभी दोस्त पठानकोट से अपनी गाड़ी में चंबा के लिए चल पड़े। हमने रास्ते में देखा कि बहुत ही सुंदर पहाड़ियां थी। ऊपर से बहते झरने उनकी शोभा में चार चांद लगा रही थे। हम ठीक 8:00 बजे बनीखेत पहुंच गए। हमने चाय पी और फिर हम डलहौजी के लिए चल पड़े।
डलहौजी के रास्ते हमने देखा कि जंगल बहुत ही कहना है। वहां हमने बहुत से जंगली जीव देखे। वहां से घूमते हुए हम हिमाचल प्रदेश के छोटे स्विट्ज़रलैंड खजियार पहुंचे। वहां की सुंदरता देखकर हम मंत्रमुग्ध हो गए। चारों तरफ हरियाली हरियाली ऊंचे देवदार के पेड़ और बीच में झील, ऐसा लगता था कि मानो हम किसी स्वर्ग में पहुंच गए हो।
चारों तरफ शांत वातावरण दूर पहाड़ियों पर पड़ी बर्फ सूर्य की किरणों से चमक रही थी। ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो किसी ने दूर पहाड़ों पर मोती बिखेर दिए हो।
हमने वहां खूब मस्ती की। फोटो खींची उसके बाद हम एक सुंदर से घास बड़ी जगह बैठकर खाना खाया। खाना खाने के बाद हम थोड़ी देर और वहां घूमे। ठीक 4:00 बजे हम अपने घर को वापस आ गए।
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