दिए गए विषयों पर लगभग 50-60 शब्दों में एक-एक अनुच्छेद लिखें- जब मैं घर में अकेली थी
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दिए गए विषयों पर लगभग 50-60 शब्दों में एक-एक अनुच्छेद लिखें- जब मैं घर में अकेली थी|
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एक दिन की बात है अचानक दादा जी की तबीयत बहुत खराब हो गई थी। सबको उन्हें लेकर अस्पताल लेकर जाना पड़ा। मुझे साथ ले जाना संभव नहीं था। अतः माताजी ने मुझे घर पर बंद कर दिया। उनका कहना था कि घर बंद रहने पर मैं सुरक्षित रहूँगा। परन्तु प्रश्न यह था कि मैं अकेले घर में रहूँगा कैसे। मैं कभी अकेला घर पर नहीं रहा था। माताजी हमेशा मेरे साथ रहती थीं। समय सब कुछ सीखा देता है। मुझे बहुत डर लग रहा था। आखिर मैंने मन को समझाया और हिम्मत रखी। थोड़ी देर बात मुझे समझ में आया कि अकेलेपन का भी अपना मज़ा है। घर में मुझे रोकने वाला कोई नहीं था। मैं मस्ती मैं कर रहा था। अभी दो ही घंटे बीते थे कि मुझे भूख लगने लगी। माताजी की याद सताने लगी। परन्तु वे नहीं आ सकती थीं। फ्रिज में ब्रेड और दूध पड़ा था। गैस जलाना मुझे नहीं आता था। अतः मैंने ठंडे दूध के साथ उसे खा लिया। उस दिन मैंने बहुत मज़े किए। पर जैसे रात घिरने लगी मुझे डर लगने लगा। मैंने सारे कमरे की बत्तियाँ जला दी। सोना चाहता था परन्तु डर बढ़ रहा था। रात के ग्यारह बजे मुझे दरवाज़े पर किसी के आने की आहट सुनाई दी। देखा तो सारे घरवाले आ गए थे। दादाजी को अस्पताल से जल्दी छुट्टी मिल गई थी। सबको देखकर मैं नाचने लगा और भागकर माँ के गले लग गया। माँ ने मुझे मैगी बनाकर खिलाई।