दिए गई कविता का भाव स्पष्ट कीजिए
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दीवानों: अपनी मस्ती में रहने वाले
हस्ती: अस्तित्व
मस्ती: मौज
आलम: दुनिया
उल्लास: ख़ुशी
प्रसंग – प्रस्तुत पंक्तियाँ हमारी हिंदी की पाठय पुस्तक “वसंत-3” में संकलित कविता “दीवानों की हस्ती” से ली गयी है। इसके कवि “भगवती चरण वर्मा“ है। इस कविता में कवि ने मस्त-मौला और फक्कड़ स्वभाव का वर्णन किया है।
व्याख्या – इसमें कवि कहते हैं कि उनका स्वभाव मस्त-मौला है, वह एक स्थान पर टिके नहीं रहते। वे जहाँ भी जाते हैं, चारों तरफ खुशियाँ फैल जाती है। कवि जहाँ धूल उड़ाते हुए जाते है वही चारों तरफ प्रसन्नता का माहौल हो जाता है। कवि रमता जोगी है। वह मन में उत्पन्न भावों की भाँति कभी ख़ुशी का सन्देश तो कभी आँखों में बहते आँसू की तरह सब जगह फ़ैल जाता है। कवि कहते हैं कि वे इतनी जल्दी आते जाते रहते हैं की लोगों को पता ही नहीं चलता कि वे कब आए और कब चले गए।
भाव - दीवाने उन्हें कहते हैं जो हर हाल में मस्त रहते हैं। सुख या दुख का उनपर कोई गहरा प्रभाव नहीं पड़ता और वे वर्तमान काल में जीने में विश्वास करते हैं।
दीवानों की कोई हस्ती नहीं होती है, मतलब उन्हें इसका कोई घमंड नहीं होता कि वे कितने बड़े आदमी हैं, और ना ही इसका मलाल होता है कि उन्हें किसी चीज की कमी है। उनके साथ हमेशा मस्ती का आलम होता है और वे जहाँ भी जाते हैं गम को धूल में उड़ा देते हैं।
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